2. आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) धुन है एक-न-एक सभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।
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भावार्थ — कवि कहता है कि इस संसार में चल अर्थात गति कर सकने वाले प्राणी जैसे कि मानव और पशु-पक्षी और अचल अर्थात स्थिर रहने वाली संरचनायें जैसे कि पेड़-पौधे और प्रकृति के अन्य तत्व, सभी अपने कर्मों में लीन है। सब कर्तव्य भाव से अपने कार्य को पूरा करने में लगे हुयें हैं।
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