2) आवारा मसीह जीवनी में कितने पर्व है?
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'श्रीकांत' (प्रथम पर्व), 'निस्कृति', 'चरित्रहीन' और 'काशीनाथ' इन्हीं दिनों प्रकाशित हुईं। विष्णु प्रभाकर ने 'आवारा मसीहा' के माध्यम से उस युग के दो महान साहित्यकारों—रवीन्द्र नाथ टैगाोर तथा शरतचंद्र के पारस्परिक संबंधों पर अच्छा प्रकाश डाला है। कई बार मतभेद हुए, पर अंतत: दोनों ने एक-दूसरे की प्रतिभा का वरण किया।
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