Hindi, asked by khokharvicky51, 6 months ago

2 अक्टूबर मात्मा गांधी का जन्मदिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस रूप में मनाया जाता है​

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Answered by kalp21
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अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस महात्मा गांधी के जन्मदिन पर २ अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। १५ जून २००७ को संयुक्त राष्ट्र महासभा में २ अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस स्थापित करने के लिए मतदान हुआ

Answered by rajeevagam615
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कोई इन्हें बापू कहता तो कोई महात्मा कहता है। पूरी दुनिया इन्हें बापू या महात्मा के नाम से ही पुकारती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष की राह पर चलकर बापू ने भारत को अंग्रेजो से आजादी दिलाई, उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया। गांधी जी एकमात्र ऐसी शख्सियत है जिनकी तस्वीर 104 देशों के डाक टिकट पर देखी जा सकती है। वे ही ऐसे विरले शख्स महापुरुष हैं, जिनकी भारत समेत 84 से ज्यादा देशों में मूर्तियां लगी हुई हैं। इन देशों में पाकिस्तान, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी से लेकर अनेकों अफ्रीकी देश शामिल हैं। 70 देशों के 250 से ज्यादा शहरों की सड़कें गांधीजी के नाम पर हैं। भारत के बाद उनके नाम की सबसे अधिक सड़कें नीदरलैंड में हैं।

अमेरिका वह देश है, जहां बापू के स्मारक और प्रतिमाएं सबसे ज्यादा हैं। खास बात यह है कि बापू कभी अमेरिका नहीं गए थे। हालांकि इन प्रतिमाओं और स्मारकों की संख्या को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन अनुमान के मुताबिक भारत के बाद अमेरिका में दो दर्जन प्रतिमाएं अलग-अलग शहरों में स्थापित हैं। बापू की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूस के मास्को और स्विटजरलैंड के जिनिवा में उनकी मूर्तियां स्थापित हैं। यही नहीं कम्युनिस्ट देश चीन में भी उनकी प्रतिमा है। पाकिस्तान में भी बापू की भी एक मूर्ति है। ये राजधानी इस्लामाबाद स्थित 'पाकिस्तान मॉन्युमेंट म्यूजियम' में एक मूर्ति है, जहां मोहम्मद अली जिन्ना साथ हैं। स्पेन के बुर्गस शहर में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित है। देश इसे अपने प्रमुख पर्यटन स्थाल के रूप में प्रचारित करता है। साल 1968 में लंदन के टेविस्टोक स्क्वेयर पर गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई थी।

श्रीलंका के जाफना क्षेत्र में बापू की प्रतिमा लगी हुई है। जिस एरिया में बापू की यह प्रतिमा स्थापित है वह कभी छापामार संगठन लिट्टे का गढ़ रहा था। कनाडा में ओंटारियो समेत कई शहरों में बापू की तीन प्रतिमाएं स्थापित है। इसके अलावा इटली, अर्जेटीना, ब्राजील और आस्ट्रेलिया में महात्मा गांधी की 2-2 प्रतिमाएं हैं। इसके अतिरिक्त रूस के मास्को और स्विट्जरलैंड के जिनिवा में बापू आज भी सत्य, अहिंसा के प्रतीक बने हुए हैं।

बापू कितने लोकप्रिय थे, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दुनियाभर में उनको लेकर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं। गांधी जी पर लिखी गई किताबों का कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। काहिरा में पूर्व दूत पीए नजारथ की किताब ‘गांधीज आउटस्टैंडिंग लीडरशिप’ के अरबी संस्करण का विमोचन किया गया। किताब में मिस्र, फलस्तीन और दक्षिण अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों पर गांधी के प्रभाव पर ध्यान दिया गया है।

बापू के अहिंसावादी फार्मूले का लोहा मानते हैं ये दिग्गज

गांधीजी के विचारों से न केवल भारतीय प्रभावित हैं, बल्‍कि मार्टिल लूथर किंग से लेकर नेल्‍सन मंडेला तक उन्‍ही की राह पर चलते हुए अपने-अपने देशों में अहिंसा को लाने में सफल रहे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर नेल्सन मंडेला ने भी दक्षिण अफ्रीका के मूल निवासियों को वहां के गोरे शासकों की जंजीरों से आजादी दिलाई थी। उसी तरह अमेरीका के डाक्टर मार्टिन लूथर किंग ‘जूनियर ने गांधी की अहिंसक फार्मूले को अपनाकर वहां के काले लोगों को नागरिकता के वे सब अधिकार दिलाए थे, जो उनको नहीं मिले थे।

पूर्वअमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भारत प्रवास के दौरान बार-बार इस बात को कहा कि मैं दो महान व्यक्तियों से प्रभावित हूं-एक महात्मा गांधी और दूसरे अमेरिका के डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र ने भी 2007 में गांधीजी के अहिंसावादी विचार का लो‌हा मानते हुए दो अक्‍टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

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