2 अपने देश के देशवासियों के हृदय में प्रति सम्मान प्वगोश्व की भावना को जागृत करने और उसे शुढं करने के लिए कोई पाँच थुक्ति लिखें - -
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उत्तर
देशभक्ति का अर्थ हैं अपने देश के विकास, उसकी गरिमा को बढ़ाने में सकारात्मक भूमिका निभाना एवं आवश्यकता पड़े तो अपने देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहना ही देश प्रेम हैं. बहुत से लोग मानते है कि अपने वतन की रक्षा की खातिर मर मिटने वाला ही देश प्रेमी होता हैं, जबकि ऐसा नहीं है.
निसंदेह देश की सीमाओं की रखवाली करने वाले हमारे सैनिक देश प्रेम से लबरेज होते ही हैं, मगर देश में बसने वाला आम नागरिक, शिक्षक, छात्र, व्यापारी, राजनेता, अभिनेता भी देश प्रेमी होते है जो अपने देश के विकास एवं सुधार में अपना अधिकतम योगदान देने का प्रयत्न करते हैं.
संसार में यदि कही देश प्रेम की अनूठी मिसाल देखने को मिलती हैं तो वह भारत देश एवं यहाँ के लोगों में ही हैं. जिन्होंने इतिहास की हर सदी में अपने वतन की रक्षा की खातिर जान तक कुर्बान कर देने के उदाहरण प्रस्तुत किये हैं. स्वतंत्रता संग्राम को ही ले लीजिए.
न जाने कितने अनाम यौद्धाओं, क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकुमत को उखाड़ने के लिए अपना घर, परिवार और अंत में अपने जीवन का त्याग कर दिया था. देश के प्रति इसी समपर्ण के भाव को देश प्रेम की उपमा दी जाती है जिसे हमारे साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया हैं. कवि गुप्त लिखते है कि वह दिल नहीं पत्थर है जिसमें स्वदेश के प्रति प्रेम का भाव नहीं हैं.
यदि हम आधुनिक पीढ़ी में देश प्रेम की बात करे तो अफ़सोस की बात हैं अपनी फलीफुली राष्ट्र भक्ति की विरासत लिए हमारी पीढ़ी राष्ट्र के नाम पर उदासीन प्रतीत होती हैं.
मात्र कुछ दिनों पन्द्रह अगस्त या छब्बीस जनवरी को ही उनका देश प्रेम जगता है कुछ कार्यक्रमों की आहुति के बाद वह अगले सीजन तक के लिए सुप्त हो जाता है.
धीरे धीरे खत्म होती जा रही देश प्रेम की यह भावना राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य की अच्छी निशानी नहीं हैं. हमारे युवकों छात्र छात्राओं में वतन पर मर मिटने का जज्बा हमें उत्पन्न करना होगा, तथा इस कार्य में शिक्षण संस्थान एवं हमारे गुरुजन अहम भूमिका निभा सकते हैं.