2 बंजारों का कारवाँ
कहलाता था
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भंगी-जंगी के बिना शाही फौज हिल नहीं सकती थी। उनकी प्रशंसा में वज़ीर आसफजहां ने उन्हें सोने से लिखा एक ताम्रपत्र भेंट किया था। वर्णनों में कुछ अतिशयोक्ति होगी पर इनके कारवां में पशु इतने होते कि गिनना कठिन हो जाता था। तब इसे एक लाख पशुओं का कारवां मान लिया जाता था और ऐसी टोली का नायक लाखा बंजारा कहलाता था।
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