2. बातचीत या बोलना भी एक कला है-इस विषय पर अपने विचार बताइए।
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बोलना और प्रभावशाली बोलना, एक कला है। इस कला में माहिर होने के लिए कुछ प्रयास करने पड़ते हैं। यह भी सही है कि कई लोगों को बोलने में जन्मजात महारत हासिल होती है। लेकिन जरूरी नहीं है कि संवाद कला में जिन्हें जन्मजात महारत हासिल है वहीं अपना प्रभाव जमा सकें।
यह एक कला है और यह कला बकायदा सीखी जा सकती है। सवाल है अगर कोई लड़की जन्मजात हाजिर-जवाब नहीं है यानी बोलने में निपुण नहीं तो क्या वह कोशिश करके संवाद कला की शहजादी बन सकती है? इस सवाल का जवाब वाकई हाँ में है। आइए जानते हैं कैसे?
संवाद कला में तब बदल जाता जब हम बोलते समय दूसरे का ध्यान अपनी तरफ खींचें और उन्हें चौंकाते हुए नया कुछ सोचने पर मजबूर करें। संवाद कला की शहजादी बनने का यह मतलब नहीं है कि आप बड़ी-बड़ी बातें हाँकें। चौंकाने के नाम पर ऐसा कुछ कहें जो असंभव या हास्यास्पद लगे। जब भी बोलें संक्षिप्त, सरल और सहजता से कुछ ऐसा कह जाएँ जो ध्यान खींच ले, जो घिसा-पिटा न लगे। साथ ही जो न तो अमर्यादित हो और न ही संकोच से भरा हुआ। ऐसे जुमले हमेशा बेकार साबित होते हैं।
बोलना और प्रभावशाली बोलना, एक कला है। इस कला में माहिर होने के लिए कुछ प्रयास करने पड़ते हैं। यह भी सही है कि कई लोगों को बोलने में जन्मजात महारत हासिल होती है। लेकिन जरूरी नहीं है कि संवाद कला में जन्मजात महारत हासिल लोग ही अपना प्रभाव जमा सके।
अगर आपको सुनने वाले बच्चे हैं तो उनके साथ आइस ब्रेकिंग का सबसे बढ़िया तरीका है कहें, देखो बच्चे क्या कर रहे हैं? और फिर किसी गतिविधि में उनकी बातचीत क्या हो सकती है, शुरू कर दें।
मनोचिकित्सक कहते हैं- "अगर कोई 7 साल का बच्चा अपनी कार के साथ खेल रहा हो तो उससे बातचीत शुरू करने का आइस ब्रेकिंग का तरीका यही है कि आप उससे कहे कि हाँ, भई आपकी कार कहाँ जा रही है? बजाय घिसे-पिटे तरीके से यह पूछने के कि बेटा बताओ तुम्हारा नाम क्या है?
अगर आप किसी सेलेब्रिटी से मुखातिब हैं और चुप्पी को तोड़ना चाहती हैं तो कई तरीके से ऐसा कर सकती हैं। एक खूबसूरत तरीका यह है कि आप संक्षिप्त में अपनी बात करें। जैसे एक बार एक फिल्म कलाकार का इंटरव्यू लेने के लिए सैकड़ों पत्रकार इकट्ठे थे। सबने उन तक लंबे-लंबे रिक्वेस्ट नोट भेजे और उन्होंने सभी को इंटरव्यू देने से मना कर दिया। लेकिन एक पत्रकार को वे मना नहीं कर सके। उस युवती ने कागज का एक छोटा-सा टुकड़ा उठाया उस टुकड़े में यह लिखा हुआ था, "हाय आई वांट टू टॉक टू यू इज दैट ऑल राइट"?
बस बेहद संक्षिप्त सीधे सपाट शब्दों में और पता है नतीजा क्या रहा, कलाकार ने उस कागज के पुर्जे के पीछे लिख दिया "यस वेट फॉर मी"। बहरहाल जब भी अचानक कोई बहुत बड़ा सेलेब्रिटी सामने दिख जाए तो तुरंत उसकी तरफ स्लैम बुक लेकर न दौड़ जाएँ और प्लीज ऑटोग्राफ की झड़ी लगा दें। यह घिसापिटा तरीका है।
आप ऑफिस जा रही हैं। लिफ्ट में चढ़ती हैं इस दौरान किसी दोस्त से पूरे मूड़ में बात कर रही होती हैं कि अचानक लिफ्ट में एक तरफ खड़े बॉस पर नजर पड़ जाती है और आप अचानक इस तरह खामोश हो जाती हैं, जैसे रिकॉर्डर का पॉज बटन दब जाता हो। लेकिन इतना नहीं होता एक पल को आप अचकचा जाती हैं और आपको समझ में ही नहीं आता कि करें तो क्या?
संवाद कला में माहिर लड़कियाँ ऐसा नहीं करतीं। एक पत्रिका की क्रिएटिव डायरेक्टर कहती हैं- "अकबका कर खामोश हो जाना सही नहीं है, सही तरीका यह कि बॉस को अभिवादन करें और फिर सहजता दर्शाते हुए आज की किसी बात को शेयर करें मसलन, "सर आपने पढ़ा कल पार्लियामेंट में क्या हुआ? नेता आपस में एक-दूसरे की पोल खोलने में लगे थे।"
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जब भी बोलें संक्षिप्त, सरल और सहजता से कुछ ऐसा कह जाएँ जो ध्यान खींच ले, जो घिसा-पिटा न लगे। साथ ही जो न तो अमर्यादित हो और न ही संकोच से भरा हुआ। ऐसे जुमले हमेशा बेकार साबित होते हैं। बोलना और प्रभावशाली बोलना, एक कला है।