2 भोज:- एवं भवान् द्विरेफ: तहिॅ अहं सूर्य:| पुष्पस्य अन्त: स्थित: भ्रमर: सुर्यास्तकोल बन्दी भवति अहमपि त्वां वन्दिनं करिष्यामि | यूवक:- अहो! भवान् सूर्यस्तहिॅ अहं महाप्रभावी राह:| राहुस्तु सुर्यं गग्रसते |
Answers
Answered by
1
Answer:
वाक्य में शब्दों के प्रयुक्त होने पर शब्द पद कहलाते हैं। वाक्य में शब्द नहीं, पद होते हैं। वाक्य में प्रत्येक पद के स्वरूप तथा अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताने की क्रिया को पद-परिचय कहते हैं।
पदपरिचय का अर्थ है वाक्य में प्रयुक्त पदों का व्याकरणिक परिचय देना। 'पदनिर्देश', 'पदच्छेद', 'पदविन्यास', पदपरिचय के ही पर्यायवाची शब्द हैं। पदपरिचय में वाक्य के पदों का परिचय, उनका स्वरूप एवं दूसरे पदों के साथ उनके संबंध को दर्शाना होता है, अर्थात व्याकरण संबंधी ज्ञान की परीक्षा और उस विद्या के सिद्धांतों का व्यावहारिक उपयोग ही पदपरिचय का मुख्य उद्देश्य है।
पद परिचय के भेद
प्रयोग के आधार
Similar questions
Math,
3 months ago
Psychology,
3 months ago
Math,
3 months ago
Hindi,
6 months ago
Biology,
6 months ago
Math,
11 months ago
Social Sciences,
11 months ago
English,
11 months ago