Hindi, asked by khanpathanshamina, 11 months ago


2) भ्रष्टाचार एक भस्मासुर । ​

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Answered by bhatiamona
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भ्रष्टाचार एक भस्मासुर , है जो आज के समय में भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है।

आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। हर क्षेत्र में इतना भ्रष्टाचार फ़ैल गया है , की किसी काम के लिए 10  दिन तक लटका कर रखते है | सरकारी विभागों में रोज़ चक्कर लगवाते है और कोई काम नहीं करता समय में | निजी विभागों में पैसा बोलता है|  इस भ्रष्टाचार में गरीब आदमी पिस रहा है|  

रोजगार, भ्रष्टाचार के कारण बढ़ रहा है | आज की युवा पीढ़ी पढ़ने के बावजूद भी बेरोजगार है| इसी कारण आज की पीढ़ी में  आक्रोश पैदा हो रहा और वह गलत काम की और जा रहे है| जब वह अपनी शक्ति को उपयोगी कार्य में नहीं लगा सकता अर्थात उसे अवसर नहीं मिलता जब युवक अपने चारों और भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को देखता है|

समाज ने जब भ्रष्टाचार नहीं होगा , बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उचित कदम उठाने वाला समाज होगा तभी समाज प्रगति की और आगे बढ़ेगा|  

Answered by anuanku
42

Answer:

️️️ भ्रष्टाचार एक भस्मासुर

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संप्रग सरकार को आड़े हाथ लेते हुए विपक्षी दलों ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार भस्मासुर हो गया है, जिसका इलाज करना जरूरी है, वरना यह व्यवस्था को ही लील जाएगा।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर मंगलवार की अधूरी चर्चा का आगे बढ़ाते हुए जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि राष्ट्रपति के संस्थान की गरिमा का सम्मान करते हुए मैं भारी दिल से प्रस्ताव का समर्थन कर रहा हूँ, लेकिन यह अभिभाषण केवल समितियों का कीर्तन भर है।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और गरीब वंचित का आर्थिक विकास के मुद्दे पर अभिभाषण में एक शब्द नहीं कहा गया है। इसमें केवल समितियों की बात कही गई है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि पिछले 62 साल में केवल समितियों का कीर्तन किया गया है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के चारों ओर घोर उपजाऊ जमीन की लूट मची है, लेकिन इसे रोकने की दिशा में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र करते हुए वरिष्ठ जदयू नेता ने सवाल किया कि सांसदों और सरकारी कर्मचारियों का वेतन जिस अनुपात में बढ़ा है क्या उसी अनुपात में किसान की आय बढ़ी है। यह चिंता का विषय है। उन्होंने साथ ही कहा कि अभिभाषण में बेरोजगारी के समाधान का कोई जिक्र नहीं है। बेकारी की हालत यह है कि बरेली में निकली छोटी मोटी 72 नौकरियों के लिए पाँच लाख युवा आ जुटते हैं।

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