Hindi, asked by hasubhavadher809, 1 year ago

2. भारतीय मानस तपस्या, हवन, पूजा आदि से ऐसी दैवी शक्तियों तथा असाधारण सामर्थ्य की अवधारणा करता रहा है। आज वैज्ञानिक अनुसंधानों के रूप में हमारे समक्ष भौतिक रूप में विद्यमान है। महाभारत, रामायण आदि प्राचीन में वर्णित विशेष अस्त्र-शस्त्र जो दैवी वरदान के रूप में प्राप्त होते थे, उनकी तुलना आज के अत्याधुनिक अस्त्रों के की जा सकती है। इसी तरह रामायण में वर्णित पुष्पक विमान किसी छोटे हेलीकॉप्टर या हावर क्राफ्ट की तरह लगता है। आकाशवाणी का भी कई जगह जिक्र आता है। कुछ इस तरह जैसे पास ही कहीं से कोई पब्लिक एडेस सिर से उद्घोषणा कर रहा हो। औषधि विज्ञान की तो ऐसी चमत्कारिक स्थितियाँ हैं कि जीता हुआ व्यक्ति लोप हो जय मरा हुआ पुनः जिंदा हो जाए, एक शरीर के दो टुकड़े और पुन: दो के एक हो जाएँ। कुल मिलाकर मंतव्य यह कि विज्ञान, जो यथार्थ और सुविचार स्वाध्याय तथा मेधा द्वारा नए-नए आविष्कार करता है, वह भारतीय प्राचीन ग्रंथों में शक्ति और वरदान की तरह वर्णित है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि मनुष्य ने वैज्ञानिक शक्तियों से काफी पहले ही साक्षात्कार कर लिया था, परंतु उस समय की सामाजिक व्यवस्था ऐसी थी कि वैज्ञानिक अनुसंधान निहायत व्यक्तिगत संपत्ति की तरह उपयोग में लिए जाते थे और सारे चमत्कार राजाओं और राजकुमारों के पास ही रहते थे। भारतीय प्राचीन साहित्य में इन चमत्कारों और शक्तियों का भरपूर प्रयोग हुआ है। चूँकि साधारण जन के पास उन शक्तियों के बारे में जानने का कोई जरिया नहीं था। अत: उसने इन्हें चमत्कार के रूप में ही स्वीकारा। विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंधों की बात जब की जाती है तब यह ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि विज्ञान, विज्ञान है कला, कला। यहाँ बात मैं अंतर्संबंधों की कर रहा हूँ, स्थूल संबंधों की नहीं। साहित्य पर विज्ञान का प्रभाव रूपांतरित होकर पड़ता है, सीधा नहीं। हाँ, कहीं कभी यदि भावभूमि की जगह दृश्य चित्रण होता है तब अवश्य वैज्ञानिक उपकरण या ये दृश्य साहित्य में अंकित होते हैं, जिन्हें साहित्यकार देखता-सुनता है। (क) भारतीय मानस की कौन-सी अवधारणा किस रूप में आज भी विद्यमान है?

(ख)

प्राचीन औषधि विज्ञान की चमत्कार स्थिति में कौन-कौन सी हैं?


(ग) प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्णित शक्तियों एवं चमत्कारों को जनसाधारण ने किस रूप में स्वीकारा तथा क्यों? ?

(घ) विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंध के विषय में क्या ध्यान रखना चाहिए?​

Answers

Answered by allahbakesh
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Explanation:

भारतीय मानस तपस्या, हवन, पूजा आदि से ऐसी दैवी शक्तियों तथा असाधारण सामर्थ्य की अवधारणा करता रहा है। आज वैज्ञानिक अनुसंधानों के रूप में हमारे समक्ष भौतिक रूप में विद्यमान है। महाभारत, रामायण आदि प्राचीन में वर्णित विशेष अस्त्र-शस्त्र जो दैवी वरदान के रूप में प्राप्त होते थे, उनकी तुलना आज के अत्याधुनिक अस्त्रों के की जा सकती है। इसी तरह रामायण में वर्णित पुष्पक विमान किसी छोटे हेलीकॉप्टर या हावर क्राफ्ट की तरह लगता है। आकाशवाणी का भी कई जगह जिक्र आता है। कुछ इस तरह जैसे पास ही कहीं से कोई पब्लिक एडेस सिर से उद्घोषणा कर रहा हो। औषधि विज्ञान की तो ऐसी चमत्कारिक स्थितियाँ हैं कि जीता हुआ व्यक्ति लोप हो जय मरा हुआ पुनः जिंदा हो जाए, एक शरीर के दो टुकड़े और पुन: दो के एक हो जाएँ। कुल मिलाकर मंतव्य यह कि विज्ञान, जो यथार्थ और सुविचार स्वाध्याय तथा मेधा द्वारा नए-नए आविष्कार करता है, वह भारतीय प्राचीन ग्रंथों में शक्ति और वरदान की तरह वर्णित है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि मनुष्य ने वैज्ञानिक शक्तियों से काफी पहले ही साक्षात्कार कर लिया था, परंतु उस समय की सामाजिक व्यवस्था ऐसी थी कि वैज्ञानिक अनुसंधान निहायत व्यक्तिगत संपत्ति की तरह उपयोग में लिए जाते थे और सारे चमत्कार राजाओं और राजकुमारों के पास ही रहते थे। भारतीय प्राचीन साहित्य में इन चमत्कारों और शक्तियों का भरपूर प्रयोग हुआ है। चूँकि साधारण जन के पास उन शक्तियों के बारे में जानने का कोई जरिया नहीं था। अत: उसने इन्हें चमत्कार के रूप में ही स्वीकारा। विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंधों की बात जब की जाती है तब यह ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि विज्ञान, विज्ञान है कला, कला। यहाँ बात मैं अंतर्संबंधों की कर रहा हूँ, स्थूल संबंधों की नहीं। साहित्य पर विज्ञान का प्रभाव रूपांतरित होकर पड़ता है, सीधा नहीं। हाँ, कहीं कभी यदि भावभूमि की जगह दृश्य चित्रण होता है तब अवश्य वैज्ञानिक उपकरण या ये दृश्य साहित्य में अंकित होते हैं, जिन्हें साहित्यकार देखता-सुनता है। (क) भारतीय मानस की कौन-सी अवधारणा किस रूप में आज भी विद्यमान है?

(ख)

प्राचीन औषधि विज्ञान की चमत्कार स्थिति में कौन-कौन सी हैं?

(ग) प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्णित शक्तियों एवं चमत्कारों को जनसाधारण ने किस रूप में स्वीकारा तथा क्यों? ?

(घ) विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंध के विषय में क्या ध्यान रखना चाहिए?भारतीय मानस तपस्या, हवन, पूजा आदि से ऐसी दैवी शक्तियों तथा असाधारण सामर्थ्य की अवधारणा करता रहा है। आज वैज्ञानिक अनुसंधानों के रूप में हमारे समक्ष भौतिक रूप में विद्यमान है। महाभारत, रामायण आदि प्राचीन में वर्णित विशेष अस्त्र-शस्त्र जो दैवी वरदान के रूप में प्राप्त होते थे, उनकी तुलना आज के अत्याधुनिक अस्त्रों के की जा सकती है। इसी तरह रामायण में वर्णित पुष्पक विमान किसी छोटे हेलीकॉप्टर या हावर क्राफ्ट की तरह लगता है। आकाशवाणी का भी कई जगह जिक्र आता है। कुछ इस तरह जैसे पास ही कहीं से कोई पब्लिक एडेस सिर से उद्घोषणा कर रहा हो। औषधि विज्ञान की तो ऐसी चमत्कारिक स्थितियाँ हैं कि जीता हुआ व्यक्ति लोप हो जय मरा हुआ पुनः जिंदा हो जाए, एक शरीर के दो टुकड़े और पुन: दो के एक हो जाएँ। कुल मिलाकर मंतव्य यह कि विज्ञान, जो यथार्थ और सुविचार स्वाध्याय तथा मेधा द्वारा नए-नए आविष्कार करता है, वह भारतीय प्राचीन ग्रंथों में शक्ति और वरदान की तरह वर्णित है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि मनुष्य ने वैज्ञानिक शक्तियों से काफी पहले ही साक्षात्कार कर लिया था, परंतु उस समय की सामाजिक व्यवस्था ऐसी थी कि वैज्ञानिक अनुसंधान निहायत व्यक्तिगत संपत्ति की तरह उपयोग में लिए जाते थे और सारे चमत्कार राजाओं और राजकुमारों के पास ही रहते थे। भारतीय प्राचीन साहित्य में इन चमत्कारों और शक्तियों का भरपूर प्रयोग हुआ है। चूँकि साधारण जन के पास उन शक्तियों के बारे में जानने का कोई जरिया नहीं था। अत: उसने इन्हें चमत्कार के रूप में ही स्वीकारा। विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंधों की बात जब की जाती है तब यह ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि विज्ञान, विज्ञान है कला, कला। यहाँ बात मैं अंतर्संबंधों की कर रहा हूँ, स्थूल संबंधों की नहीं। साहित्य पर विज्ञान का प्रभाव रूपांतरित होकर पड़ता है, सीधा नहीं। हाँ, कहीं कभी यदि भावभूमि की जगह दृश्य चित्रण होता है तब अवश्य वैज्ञानिक उपकरण या ये दृश्य साहित्य में अंकित होते हैं, जिन्हें साहित्यकार देखता-सुनता है। (क) भारतीय मानस की कौन-सी अवधारणा किस रूप में आज भी विद्यमान है?

(ख)

प्राचीन औषधि विज्ञान की चमत्कार स्थिति में कौन-कौन सी हैं?

(ग) प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्णित शक्तियों एवं चमत्कारों को जनसाधारण ने किस रूप में स्वीकारा तथा क्यों? ?

(घ) विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंध के विषय में क्या ध्यान रखना चाहिए?

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