2) चारू चंद्र की चंचल किरणे कहाँ खेल रही थी ?
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गुप्त जी कहते हैं कि सुन्दर चन्द्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। ..... वे चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि ”चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल थल में स्वच्छ चाँदी बिछी हुई हैं, अवनि और अम्बर तल में।
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