World Languages, asked by vijayrai143, 22 days ago

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E-3194
(ख) हमें भी कैद में समझो, बेटी हमारे गुनाहों ने हमें चारों तरफ से घेर
रखा है। जमीर की जंजीरों ने भी हमारे हाथ-पैर बाँध लिए हैं। हम
अब इस दुनिया को आँख उठाकर भी नहीं देख सकते। जिस
सल्तनत को खून से सींच-सींचकर हमने इतना बड़ा किया है उसे
अगर अब आँसुओं से भी सींचना चाहें तो हमें पूरी जिंदगी चाहिए।
वह हमारे पास कहाँ है ?​

Answers

Answered by Renumahala2601
6

Answer:

[2]

E-3194

(ख) हमें भी कैद में समझो, बेटी हमारे गुनाहों ने हमें चारों तरफ से घेर

रखा है। जमीर की जंजीरों ने भी हमारे हाथ-पैर बाँध लिए हैं। हम

अब इस दुनिया को आँख उठाकर भी नहीं देख सकते। जिस

सल्तनत को खून से सींच-सींचकर हमने इतना बड़ा किया है उसे

अगर अब आँसुओं से भी सींचना चाहें तो हमें पूरी जिंदगी चाहिए।

वह हमारे पास कहाँ है ?

Explanation:

[2]</p><p>E-3194</p><p>(ख) हमें भी कैद में समझो, बेटी हमारे गुनाहों ने हमें चारों तरफ से घेर</p><p>रखा है। जमीर की जंजीरों ने भी हमारे हाथ-पैर बाँध लिए हैं। हम</p><p>अब इस दुनिया को आँख उठाकर भी नहीं देख सकते। जिस</p><p>सल्तनत को खून से सींच-सींचकर हमने इतना बड़ा किया है उसे</p><p>अगर अब आँसुओं से भी सींचना चाहें तो हमें पूरी जिंदगी चाहिए।</p><p>वह हमारे पास कहाँ है ?

Answered by pjahnabi007
0

Answer:

(ख) हमें भी कैद में समझो, बेटी हमारे गुनाहों ने हमें चारों तरफ से घेर

रखा है। जमीर की जंजीरों ने भी हमारे हाथ-पैर बाँध लिए हैं। हम

अब इस दुनिया को आँख उठाकर भी नहीं देख सकते।

सल्तनत को खून से सींच-सींचकर हमने इतना बड़ा

किया है उसे

अगर अब आँसुओं से भी सींचना चाहें तो हमें पूरी जिंदगी चाहिए |

वह हमारे पास कहाँ है ?

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