Hindi, asked by arvindtinshu73p9xxn3, 1 year ago

2 easy learning poems on Deshbhakti

Answers

Answered by shailendrashaw77
1

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

जिन्दगी का राज-चर्चा अपने क़त्ल का

मिट गया जब मिटने वाला

मुखम्मस-हैफ़ हम जिसपे कि तैयार थे मर जाने को

न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ

अरूज़े कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा

भारत जननि तेरी जय हो विजय हो

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो

बला से हमको लटकाए अगर सरकार फांसी से-तराना

देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो

दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा

आज़ादी-इलाही ख़ैर ! वो हरदम नई बेदाद करते हैं

देश हित पैदा हुये हैं देश पर मर जायेंगे


गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

सभी मनाते पर्व देश का आज़ादी की वर्षगांठ है |

वक्त है बीता धीरे धीरे साल एक और साठ है ||

बहे पवन परचम फहराता याद जिलाता जीत रे |

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

जनता सोचे किंतु आज भी क्या वाकई आजाद हैं |

भूले मानस को दिलवाते नेता इसकी याद हैं ||

मंहगाई की मारी जनता भूल गई ये जीत रे |

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

हमने पाई थी आज़ादी लौट गए अँगरेज़ हैं |

किंतु पीडा बंटवारे की दिल में अब भी तेज़ है ||

भाई हमारा हुआ पड़ोसी भूले सारी प्रीत रे |

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

Similar questions