2. एकांकी से आप क्या समझते हैं। हिंदी एकांकी के विकास का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए.
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Answer:
एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहते हैं। अंग्रेजी के 'वन ऐक्ट प्ले' शब्द के लिए हिंदी में 'एकांकी नाटक' और 'एकांकी' दोनों ही शब्दों का समान रूप से व्यवहार होता है। ... क्रमशः ये मोरैलिटी नाटकों से स्वतंत्र हो गए और अंत में उनकी परिणति व्यंग्य-विनोद-प्रधान तीन पात्रों के छोटे नाटकों में हुई।
इस युग में विविध विषयों एवं समस्याओं को लेकर बहुत बड़ी संख्या में एकांकियों की रचना हुई। संक्षिप्ततः, हिन्दी एकांकी का विकास क्रमशः भारतेन्दु-युग, प्रसाद-युग, प्रसादोत्तर-युग तथा स्वतंत्रयोत्तर-युग में सम्पन्न हुआ। भारतेन्दु युग में जो एकांकी लिखे गये वे प्रायः नाटक का ही लघु रूप थे।
Answer:
वन-एक्ट प्ले (एकांकी)
वन-एक्ट प्ले एक ऐसा नाटक है जिसमें केवल एक ही कार्य होता है, जो कई कृत्यों पर होने वाले नाटकों से अलग होता है। एकांकी नाटकों में एक या अधिक दृश्य हो सकते हैं। 20-40 मिनट का नाटक वन-एक्ट प्ले की एक लोकप्रिय उप-शैली के रूप में उभरा है, विशेष रूप से लेखन प्रतियोगिताओं में।
Explanation:
हिन्दी एकांकी के विकास का इतिहास
एकांकी एक अंक का दृश्य-काव्य होता है जिसमें एक कथा तथा एक उद्देश्य को कुछ पात्रों के माध्यम से दिखाया जाता है। डॉ. रामकुमार वर्मा के अनुसार- "एकांकी में एक ऐसी घटना रहती है, हिन्दी एकांकी को नाटक से अलग अपना स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकार करने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ा। सन् 1935 में भुवनेश्वर स्वरूप के 'कारवाँ' द्वारा एकांकी का स्वरुप स्पष्ट हो गया। हिन्दी एकांकी के विकास क्रम को विद्वानों ने अनेक प्रकार से विभक्त किया है परन्तु सर्वमान्य रूप से इसके क्रमिक विकास को चार भागों में विभक्त किया गया है–
1. भारतेन्दु - द्विवेदी युग – (1875 से 1928 ई.)
2. प्रसाद युग – (1929 से 1937 ई.)
3. प्रसादोत्तर युग – (1938 से 1947 ई.)
4. स्वातंत्र्योत्तर युग – (1948 से अब तक)
एकांकी के प्रकार
- सामाजिक एकांकी
- ऐतिहासिक एकांकी
- मनोवैज्ञानिक एकांकी
- राजनैतिक एकांकी
- चारित्रिक एकांकी
- पौराणिक एकांकी
- सांस्कृतिक एकांकी
- आंचलिक एकांकी