Hindi, asked by kalup4144, 6 months ago

2.
गुणेष्वेव हि कर्तव्यः.....​

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Answered by ShifaliSarin
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Answer:

गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।

गुण्युक्तो दरिद्रो अपि नेश्वरैरगुणेः समः।। (मृच्छकटिकम्)

अन्वयः :- पुरुषैः सदा गुणेषु एव हि प्रयत्नः कर्तव्यः। गुणयुक्तः दरिद्रः अपि अगुणैः ईश्वरैः समः न भवति।

शब्दार्थः कर्तव्यः- करना चाहिए, हि- निश्चित ही, ईश्वरै:- ऐश्वर्यशाली, समः-समान, गुणै:- गुणों से

अर्थ: पुरुषों (मनुष्यों) को गुणप्राप्ति के लिए ही प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि गुणवान धनहीन (व्यक्ति) भी गुणहीन ऐश्वर्यशाली व्यक्तियों के बराबर नहीं होता।(अर्थात वह उससे कहीं अधिक श्रेष्ठ होता है।)

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