2.
गुणेष्वेव हि कर्तव्यः.....
Answers
Answered by
3
Answer:
गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।
गुण्युक्तो दरिद्रो अपि नेश्वरैरगुणेः समः।। (मृच्छकटिकम्)
अन्वयः :- पुरुषैः सदा गुणेषु एव हि प्रयत्नः कर्तव्यः। गुणयुक्तः दरिद्रः अपि अगुणैः ईश्वरैः समः न भवति।
शब्दार्थः कर्तव्यः- करना चाहिए, हि- निश्चित ही, ईश्वरै:- ऐश्वर्यशाली, समः-समान, गुणै:- गुणों से
अर्थ: पुरुषों (मनुष्यों) को गुणप्राप्ति के लिए ही प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि गुणवान धनहीन (व्यक्ति) भी गुणहीन ऐश्वर्यशाली व्यक्तियों के बराबर नहीं होता।(अर्थात वह उससे कहीं अधिक श्रेष्ठ होता है।)
PLZZZZ MARK ME BRAINLIEST
Similar questions