Hindi, asked by adardhsinghadarshsin, 7 months ago

2. गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी
खुशबू देती है' के माध्यम से लेखक
क्या कहना चाहता है?​

Answers

Answered by shishir303
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गंदे से गंदे आदमी की फोटो खुशबू देती है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक हरिशंकर परसाई यह कहना चाहते हैं कि फोटो खिंचवाते समय लोग अनेक तरह के जतन करते हैं। चाहे कोई भी आदमी कितना भी गंदा हो, साधारण दिखावट का हो, लेकिन फोटो खिंचवाते समय वह तरह तरह के इत्र लगाता है। बनाव श्रंगार करता है। अच्छे-अच्छे कपड़े पहनता है, ताकि फोटो में अच्छा दिख सके।

यहाँ पर लेखक ने ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में यहाँ पर लेखक ने इन पंक्तियों के माध्यम से समाज के पाखंड पर व्यंग किया है। प्रेमचंद ने फोटो खिंचवाते समय अपने जूतों पर ध्यान नही दिया और जैसी अवस्था में थे, वैसे ही फोटो खिंचवा लिया।

उनके फोटो को देखकर लेखक ने से कहा है की फोटो खिंचवाते समय कम से कम किसी से अच्छे जूते मांग लेते। यहां पर तो गंदे से गंदा आदमी भी फोटो खींचते समय अच्छे वस्त्र और जूते आदि पहनता है, इत्र लगाता है, उसके लिये उसे चाहे उधार ही क्यों न लेना पड़े।

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