2. गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नो का उत्तर दीजिये।
हमारे बेचारे पुरखे न गरुण के रूप में आ सकते है, न मयूर के, न हंस के।
उन्हें पितर पक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर ही अवतीर्ण होना
पड़ता है। इतना ही नहीं, हमारे दूरस्थ प्रिय जनों को भी अपने आने का
मधुर संदेश इनके कर्कश स्वर मे ही दे देना पड़ता है। दूसरी ओर कौवा
कांव-काव करना का अवमानना के अर्थ में प्रयुक्त करते है मीनिंग
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