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घर जनताकर रहनमा कपडतूनका अरु पहाज
पाच तयार र जनक उत्तर एक-एक
गंगकी और माता-ये दोनोंदी शब्द है और उनके मात्र
जिससे वह अपनी बाहरीतकी करता है संस्कृति त्वानुष्य
भी अमठा-अलता है। सम्यता मजष्य कातर गुण है,
का वह गुण है, जिससे वह अपती भीतरी अत्तति करता
हका, माया और परोपकार सीतता है शित-नादा
कविता, मत की व्यायामा
है। एक समर्थ वह जब आदमी को हर
बजाना नही आला गावापेड़ के नीचे तपाओ में
रहता था उस ततीका ज्ञानलंठी थावट नंगा
रहता था या पेड़ो की हाल अावाजाजतरों की
एवात्म पहजकर अपनी माजहिपाता शाइस्मतस्था
को मनुष्य की असभ्यता की अवस्था कहते हैं,
यकिन इस अताया सानिकाकर आदमी ज्यों-ज्यों
आगे बढ़ा त्यों हत्या आरो बढ़ा तहसभ्य होता वाया
यानी जब आदमी खेती करने लगा तब वह
लाातववह असायलासनिकलकर सत्यता में
उपर दिा या परिसर के पहकर उसए ऐसे
वाका महा.
आने लगा।
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संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अन्तर्निहित होता है।यह ‘कृ’ (करना) धातु से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ की मूल स्थिति,यह संस्कृत हो जाता
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