2. हिंदी देश को जोड़ने वाली कड़ी है। इसे अपने शब्दों में सिद्ध कीजिए।
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हिन्दी की प्रगति का रथ भी तेज़ गति से आगे बढ़ा। हिन्दी राष्ट्रीय चेतना की प्रतीक बन गई। स्वाधीनता आन्दोलन का नेतृत्व जिन नेताओं के हाथों में था, उन्होंने यह पहचान लिया था कि विगत 600 – 700 वर्षों से हिन्दी सम्पूर्ण भारत की एकता का कारक रही है; यह संतों, फकीरों, व्यापारियों, तीर्थ यात्रियों, सैनिकों आदि के द्वारा देश के एक भाग से दूसरे भाग तक प्रयुक्त होती रही है।
मैं यह बात जोर देकर कहना चाहता हूँ कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा की मान्यता उन नेताओं के कारण प्राप्त हुई जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं थी। बंगाल के केशवचन्द्र सेन, राजा राम मोहन राय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस; पंजाब के बिपिनचन्द्र पाल, लाला लाजपत राय; गुजरात के स्वामी दयानन्द, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी; महाराष्ट के लोकमान्य तिलक तथा दक्षिण भारत के सुब्रह्मण्यम भारती, मोटूरि सत्यनारायण आदि नेताओं के राष्ट्रभाषा हिन्दी के सम्बंध में व्यक्त विचारों से मेरे मत की संपुष्टि होती है। हिन्दी भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य चेतना की अभिव्यक्ति का माध्यम बन गई। हिन्दी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक हो गई। इसके प्रचार प्रसार में सामाजिक, धार्मिक तथा राष्ट्रीय नेताओं ने सार्थक भूमिका का निर्वाह किया।
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