2. हम आज़ाद होते तो सीमाहीन आकाश की सीमा को पार कर लेते। हमारे पंखों की उड़ान से
आकाश की क्षितिज की होड़ होती। इस होड़ में हम आकाश की ऊँचाइयों को माप पाते या हम
प्राण त्याग देते।
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अपने देश के लिए चाहे ऊंचाइयों को ऊंचाइयों को माफ लो या अपने आप को बलिदान कर दो इतना फर्क नहीं पड़ता बल्कि आपको गर्व होगा कि आपने अपने देश के लिए कुछ किया है
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