2. हम भारतवासी हैं। ( रचना के आधार पर वाक्य का भेद लिखिए ।)
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हमारे हर तीर्थ पवित्रता के काशी हैं।
भारत मस्तक है भारत पर्व है हमारा,
भारत तिलक है भारत गर्व है हमारा।
विश्व में मोहब्बत के प्रतीक हमारे यहां,
प्यार में मीठे हो जाते समुंदर खारे यहां।
दूसरे के दिल की मायूसी के उदासी हैं।
हम महान देश भारत के निवासी हैं।।
सबके कितने अलग-अलग रूप हैं,
वास्तव में भारत का यही स्वरुप है।
हम खुद को खुद से ही जीत लेते हैं,
हम नफरत के बदले में प्रीत देते हैं।
पौरुष हमारा सिकंदर भी जान गया,
सृद्धा हमारी इतनी समुंदर भी मान गया।
भोलापन है इतना भगवान भी कैलाशी हैं।
हम महान देश भारत के निवासी हैं।।
गाते हैं वो गीत जिसमें मधुरता की जय हो,
बोलते गूंजकर हम भारत माता की जय हो।
कितने धर्मों में बंटकर हम सब एक हैं,
बहा देते अपना रक्त जरूरत पर इतने नेक हैं।
महानता के यहां चमकते कितने रवि हुए,
मर्यादा की व्याख्या करने वाले महान कवि हुए।
हम हर प्रांत के लोग सब भारतवासी हैं।
हम महान देश भारत के निवासी हैं।।
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