2 'हमारे बुजुर्ग हमारी नीव'- इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
Answers
Explanation:
बुजर्ग हमारी धरोहर
बुजुर्गो का सम्मान करने और सेवा करने की हमारी समाज की एक समृद्ध परंपरा रही है ! पर अब समय बदल रहा है !अब बुजुगों की दुर्दशा हो रही है ! आश्चर्य है की जिस देश मे माँ और पिता को पूजने की अवधारणा रही है !
आजकल हम पढ़ते और सुनते है की बुजुर्ग को खुद उनके पुत्र ही प्रताड़ित करते है ! लगभग 20 प्रतिशत बुजुर्गो ने माना की बेटों पर आश्रित होने के कारण उनकी यह हालत हुई है ! लोक लाज के कारण बुजुर्ग चुप रहना पसंद करते है वो अपनी वास्तविक स्थिति किसी को बताते नहीं है !एक सर्वे के अनुसार अस्सी प्रतिशत बुजुर्ग बेटों पर निर्भर है !करीब बय्यासी प्रतिशत बुजुर्ग शारीरिक प्रताड़ना के शिकार है !स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ मात्र पाँच प्रतिशत बुजुर्ग ही उठा पा रहे है ! कई बुजुर्ग तो ऐसे है जिनकी सार संभाल करने वाला कोई नहीं है ! जो बुजुर्ग आत्म निर्भरता का जीवन जी रहे है मगर फिर भी उनमें असुरक्षा का भाव है ! माता पिता की देख रेख करने के लिए संतानों को क़ानूनी रूप से बाध्य करने के विधेयक के तहत अनिवार्य है की बच्चे अपने पालकों और बुजुर्ग की देखभाल अच्छी तरह से करे ! नए कानून के विधान के तहत बूढ़े माँ बाप की देखभाल की ज़िम्मेदारी संतान की
है ! माता पिता की सेवा को ईश्वर की सेवा का दर्जा दिया गया है ! माँ बाप को देवता से ऊपर का स्थान दिया गया है ! आज उसी देश मे माँ बाप की देखभाल के लिए कानून बनाना पड रहा है ! यह घोर विडंबना है कि जिस देश मे राम , भीष्म और पुंडरिक जैसे आज्ञाकारी पुत्र हुए जिस देश मे श्रवण कुमार अपने अंधे माँ बाप को कावड मे बिठाकर तीर्थयात्रा करवाता था उसी भारत की संसद को माता पिता की देखभाल करने के लिए कानून बनाना पड़ रहा है ! जिस समाज में बुजर्गो का सम्मान न हो उन्हें अपनों से प्रताड़ना मिले ऐसे समाज को धिक्कार है ! अब तो हालत यह है कि चलने फिरने की हालत मे जो माँ बाप है उनको भी अपने साथ कोई रखना नहीं चाहता है ! सब आज़ाद जीवन हा जीना चाहते है कोई बंदिश नहीं चाहते ! आज रिश्तों की डोर इतनी कमजोर हो गयी है की स्वार्थ का झटका उन्हें तोड़ सकता है ! हमारे आस पास ऐसे कई दर्जनों उदाहरण भी मिल जायेंगे जंहा अच्छे ख़ासे कमाते बच्चे होने के बाद बुजुर्ग दर दर की ठोकर खा रहे है ! दिल मे भी माता पिता के लिए जगह नहीं रह गयी है ! हम लोग ये क्यों नहीं सोचते की हम भी एक दिन उम्र के उस पड़ाव पर पहुँचेंगे जहा पर आज हमारे माता पिता बुजुर्ग है ! इस बच्चे को माता पिता अपना सब कुछ दे देते है पालन पोषण करते है वही बच्चा एक दिन उम्र के आखिरी मोड़ पर अपने माता पिता का साथ छोड़ देता है ! बजुर्गो को दुत्कारो मत क्युकि झुर्रियो से भरे चेहरे और आशीर्वाद देते हाथो का अपना एक अलग ही महत्व होता है ! पीड़ित बुज़ुर्ग ने घर मे मार पीट गाली गलोच करने , समय पर खाना नहीं देने बात बात पर ताना मारने का मामला भी दर्ज करवाए है केवल कानून बनाने से ही माता पिता के प्रति नैतिक कर्तव्य की पूर्ति नहीं होगी ! इसके लिए लोगो को जाग्रत करने की आव्यशकता है !
hope it help you
THANK YOU
Answer:
Hey mate answer of your question is given below by me..
Explanation:
मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः - इस पंक्ति को बोलते हुए हमारा शीष श्रद्धा से झुक जाता है और सीना गर्व से तन जाता है । यह पंक्ति सच भी है जिस प्रकार ईश्वर अदृश्य रहकर हमारे माता पिता की भूमिका निभाता है उसी प्रकार माता पिता हमारे दृश्य, साक्षात ईश्वर है। इसीलिए तो भगवान गणेश ने ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करने की बजाय अपने माता पिता शिव- पार्वती की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य होने का अधिकार हांसिल कर लिया था, किन्तु आज के इस भौतिक वाद (कलयुग) में बढ़ते एकल परिवार के सिद्धान्त तथा आने वाली पीढ़ी की सोच में परिवर्तन के चलते ऐसा देखने को नही मिल रहा है। कुछ सुसंस्कारित परिवारों को छोड़ दें तो आज अधिकांश परिवारों में बुजुर्गों को भगवान तो क्या, इंसान का दर्जा भी नही दिया जा रहा है। किसी जमाने में जिनकी आज्ञा के बगैर घर का कोई कार्य और निर्णय नही होता था। जो परिवार में सर्वोपरि थे। और परिवार की शान समझे जाते थे आज उपेक्षित, बेसहारा और दयनीय जीवन जीने को मजबूर नजर आ रहे है यहां तक कि तथा कथित पढ़े लिखे लोग जो अपने आप को आधुनिक मानते है , अपने आपको परिवार की सीमाओं में बंधा हुआ स्वीकार नही करते हैं और सीमाऐं तोड़ने के कारण पशुवत व्यवहार करना सीख गये हैं वे अपने माता पिता व अन्य बुजुर्गों को ’’रूढ़ीवादी’’, ’’सनके हुये’’ तथा ’’पागल हो गये ये तो’’ तक का सम्बोधन देने लगे है।
क्या आप नही जानते मां बाप ने आपके लिए क्या-क्या किया है या जानते हुये भी अनजान बनना चाहते हैं ? मैं आपकी याददाष्त इस लेख के माध्यम से लौटाने की कोशिश कर रहा हॅंू।
वो आपकी मां ही है जिसने नौ माह तक अपने खून के एक एक कतरे को अपने शरीर से अलग करके आपका शरीर बनाया है और स्वयं गीले मे सोकर आपको सूखे में सुलाया है, इन्ही मां-बाप ने अपना खून पसीना एक करके आपको पढ़ाया-लिखाया, पालन-पोषण किया और आपकी छोटी से छोटी एवं बड़ी से बड़ी सभी जरूरतों को अपनी खुशियों, अरमानों का गला घोंट कर पूरा किया है। कुछ मां-बाप तो अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के खातिर अपने भोजन खर्च से कटौती कर करके उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजते रहे। उन्हंे नही मालूम था कि बच्चे अच्छा कैरियर हासिल करने के बाद उनके पास तक नही आना चाहंेगे। वे मां-बाप तो अपना यह दर्द किसी को बता भी नही पाते। यह आपके पिता ही है जिन्हांेने अपनी पैसा-पैसा करके जोड़ी जमा पूंजी और भविष्य निधि आपके मात्र एक बार कहने पर आप पर खर्च कर दी। और आज स्वयं पैसे-पैसे के लिए मोहताज हो गये। तिनका-तिनका जोड़कर आपके लिए आशियाना बनाया और आज आप नये आशियाने के लिऐ उन पर भावनाओं से लबालेज उनके आशियाने को बेच देने का दवाब बना रहे है, उनके तैयार नही होने पर उन्हे अकेला छोड़कर अपनी इच्छा की जगह जाकर उन्हे दण्ड दे रहे है। आपने कभी सोचा है कि मां-बाप ने यह सब क्यों किया।
आपको मालूम होना चाहिए कि वे केवल इसी झूठी आशा के सहारेे यह सब करते रहे कि आप बड़े हांेगे कामयाब होगें और उन्हें सुख देंगे और आपकी कामयाबी पर वो इठलाते फिरेंगे। मां-बाप जो मुकाम स्वयं हासिल नही कर पाये उन्हें आपके माध्यम से पूरा करना चाहते है लेकिन बच्चे उनका यह सपना चूर-चूर कर देते हैं।
I hope it can help you..