2.हरे घोड़े के संदर्भ में बीरबल की चतुराई का वर्णन करो?
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- एक दिन बादशाह अकबर घोड़े पर बैठकर शाही बाग में घूमने गए। साथ में बीरबल भी था। चारों ओर हरे-भरे वृक्ष और हरी-हरी घास देखकर अकबर को बहुत आनन्द आया। उन्हें लगा कि बगीचे में सैर करने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही होना चाहिए।
- उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए। तुम मुझे सात दिन में हरे रंग का घोड़ा ला दो। यदि तुम हरे रंग का घोड़ा न ला सके तो हमें अपनी शक्ल मत दिखाना।” हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नहीं है। अकबर और बीरबल दोनों को यह मालूम था। लेकिन अकबर को तो बीरबल की परीक्षा लेनी थी।
- दरअसल, इस प्रकार के अटपटे सवाल करके वे चाहते थे कि बीरबल अपनी हार स्वीकार कर लें और कहें कि जहांपनाह मैं हार गया, मगर बीरबल भी अपने जैसे एक ही थे। बीरबल के हर सवाल का सटीक उत्तर देते थे कि बादशाह अकबर को मुंह की खानी पड़ती थी।
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बादशाह अकबर बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहते थे इसलिए यह जानते हुए भी कि संसार में कहीं भी हरे रंग का घोड़ा नहीं है फिर भी वे बीरबल को हरे रंग का घोड़ा लाने के लिए एक सप्ताह का समय देते हैं। बीरबल बादशाह का आदेश स्वीकार कर घोड़े की तलाश में इधर-उधर घूमते हैं और आठवें दिन बादशाह से कहते हैं कि उन्होंने हरे रंग का घोड़ा खोज लिया है, लेकिन उस घोड़े को देखने के लिए बादशाह को उसके मालिक की दो शर्तों माननी पड़ेगी। पहली शर्त यह है कि बादशाह को घोड़ा लेने वहाँ स्वयं ही जाना पड़ेगा तथा दूसरी शर्त यह है कि घोड़े का रंग दूसरे घोड़ों से अलग है, तो उसे देखने का दिन भी अलग होना चाहिए यानि सप्ताह के सात दिनों के अलावा घोड़े को किसी भी दिन देख सकते हैं। इन शर्तों को सुनकर बादशाह निरुत्तर हो जाते हैं और इस प्रकार 'हरे घोड़े' के संदर्भ में बीरबल अपनी चतुराई से बादशाह की परीक्षा में सफल हो जाते हैं।