2) जाने कब तक घाव भरेंगे इस घायल मानवता के?
जाने कब तक सच्चे होंगे सपने सबकी समता के?
सब दुनिया पर व्यथा पड़ी है, मेरी ही क्या बड़ी व्यथा!
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आज इस विज्ञापन के माध्यम से मैं पंकज यह साझा करने जा रहा हूं कि मैं अपने पुराने घर को बेचना चाहता हूं क्योंकि हमारा परिवार बहुत ही छोटा सा है अौर उस हिसाब से हमारा घर बड़ा ।जिसकी हम ठीक से देख भाल नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए मैं यह ईश्वर बेचना चाहता हूं। यदि आप में से कोई मेरे घर को खरीदना चाहते हैं तो मुझसे जल्दी संपर्क करें
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