2. जैनेन्द्र की साहित्यिक सेवाओं का उल्लेख कीजिए।
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प्रेमचंदोत्तर उपन्यासकारों में जैनेंद्रकुमार (२ जनवरी, १९०५- २४ दिसंबर, १९८८) का विशिष्ट स्थान है। वह हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक के रूप में मान्य हैं। जैनेंद्र अपने पात्रों की सामान्यगति में सूक्ष्म संकेतों की निहिति की खोज करके उन्हें बड़े कौशल से प्रस्तुत करते हैं। उनके पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ इसी कारण से संयुक्त होकर उभरती हैं। जैनेंद्र के उपन्यासों में घटनाओं की संघटनात्मकता पर बहुत कम बल दिया गया मिलता है। चरित्रों की प्रतिक्रियात्मक संभावनाओं के निर्देशक सूत्र ही मनोविज्ञान और दर्शन का आश्रय लेकर विकास को प्राप्त होते हैं।
Step-by-step explanation:
इनकी साहित्यिक सेवाओं का विवरण इस प्रकार है-
उपन्यासकार के रूप में जैनेन्द्र जी ने अनेक उपन्यासों की रचना की है। ...
कहानीकार के रूप में एक कहानीकार के रूप में भी जैनेन्द्र जी की उपलब्धियाँ महान् हैं। ...
निबन्धकार के रूप में जैनेन्द्र जी ने निबन्धकार के रूप में भी हिन्दी साहित्य की महत्ती सेवा की हैं।
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