2. 'जानवर मनुष्य की भावनाओं को समझते हैं' इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
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वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देने वाली भारतीय संस्कृति में पूरी पृथ्वी को एक परिवार माना गया है और इस परिवार में केवल मनुष्य ही शामिल नहीं बल्कि पशु-पक्षी जगत, जलचर, पातालवासी व वनस्पति को भी शामिल किया गया है। एक परिवार के सदस्य होने के नाते सभी को परस्पर प्रेम से रहने, सह-अस्तित्व के सिद्धांत का पालन करने, परस्पर जीवन के अधिकार का सम्मान करने के संदेश हमारे वेदों-शास्त्रों में जगह-जगह दिए गए हैं। यह विचार व संस्कार भारतीयों के भीतर गुणसूत्रों की तरह विद्यमान हैं और अब इस विचार को कानूनी मान्यता भी मिल गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक अनोखे फैसले में राज्य में जानवरों को कानूनी तौर पर व्यक्ति या इकाई का दर्जा देने की घोषणा की है। न्यायालय ने कहा कि जानवरों का भी एक अलग व्यक्तित्व होता है। जीवित मनुष्य की तर्ज पर उनके पास भी अधिकार, कर्तव्य और उत्तरदायित्व होते हैं। न्यायाधीश राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की पीठ ने जानवरों को यह विशेष दर्जा प्रदान करते हुए उनके खिलाफ क्रूरता रोकने के लिए भी कई निर्देश जारी किए। जानवरों की सुरक्षा और कल्याण के लिए कोर्ट ने उत्तराखंड के सभी निवासियों को सभी जानवरों का अभिभावक घोषित किया है और इनकी सुरक्षा-स्वास्थ्य, संरक्षण, सम्मान को लेकर कई तरह के निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि उच्च न्यायालय पहले स्वर्गवासिनी गंगा नदी को भी जीवित मानव घोषित कर चुका है।