2. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि ।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि ।।
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it is one of the sant kabir dohas
Explanation:
जब तक मन मे अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ, जब अहंकार समाप्त हुआ तभी ईश्वर मिले।
प्रेम की गली मे केवल एक ही समा सकता है।
अहम् या परम! परम की प्राप्ती के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है ।
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