(2) जब परमेश्वर तक बात का प्रभाव पहुँचा हुआ है तो हमारी कौन बात रही? हम लोगों के तो ‘गात माँहि बात करामात है।’ नाना शास्त्र, पुराण, इतिहास, काव्य, कोश इत्यादि सब बात ही के फैलाव हैं जिनके मध्य एक-एक बात ऐसी पायी जाती है जो मन, बुद्धि, चित्त को अपूर्व दशा में ले जानेवाली (UPBoardSolutions.com) अथच लोक-परलोक में सब बात बनानेवाली है। यद्यपि बात का कोई रूप नहीं बतला सकता कि कैसी है पर बुद्धि दौड़ाइये तो ईश्वर की भाँति इसके भी अगणित ही रूप पाइयेगा। बड़ी बात, छोटी बात, सीधी बात, खोटी बात, टेढ़ी बात, मीठी बात, कड़वी बात, भली बात, बुरी बात, सुहाती बात, लगती बात इत्यादि सब बाते ही तो हैं।
प्रश्न
(1) गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) “गात माँहि बात करामात है।” का क्या तात्पर्य है?
(4) कौन-सी बात चित्त, मन और बुद्धि को अपूर्व दिशा की ओर अग्रसर करती है?
(5) ‘बड़ी बात’, ‘छोटी बात’ एवं ‘सीधी बात’ मुहावरे का क्या अभिप्राय है?
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एवं दुख को अत्यंत निकट से देखा था। इसके अलावा प्रेमचंद पराधीन भारत में भारतीय किसानों और मजदूरों के प्रति अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचार को देखा था। वे समाज में व्याप्त रूढ़ियों, कुरीतियों और धार्मिक बुराइयों में फंसे लोगों को देख रहे थे। इन्हीं बातों को उन्होंने अपनी कृतियों का विषय बनाया है। पूस की रात’ में हलकू की समस्या, ‘गोदान’ .. में होरी की दुर्दशा, ‘मंत्र’ में डाक्टर चट्ढा की खेलप्रियता से सुजानभगत के बेटे की मृत्यु आदि का सजीव चित्रण करके जन सामान्य के दुख को मुखरित किया है। लेखक ने ‘जनता का लेखक’ कहकर जनसाधारण के प्रति उनके लगाव को बताना चाहा है।
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) गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए
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