2. केंचुआ छंद किसकी देन है।
सर्वहार वर्ग का उल्लेख किस वाद में मिलता है।
4. वैदेही वनवास किसकी रचना है।
3.
2ी।
Answers
¿ केंचुआ छंद किसकी देन है ?
➲ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की।
✎... ‘केंचुआ छंद’ महाकवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ की देन है। केंचुआ छंद को ही मुक्तक छंद कहा जाता है। मुक्तक छंद को ही केंचुआ छंद, रबड़ छंद कंगारू छंद आदि के नाम से जाना जाता है। मुक्तक छंद वर्णिक छंद का ही एक प्रकार है। इस छंद में कोई नियम नहीं होता और यह स्वच्छंद गति से निरंतर चलता रहता है, इसी कारण इसे स्वच्छंद छंद भी कहा जाता है।
¿ सर्वहार वर्ग का उल्लेख किस वाद में मिलता है।
➲ मार्क्सवाद में
✎... सर्वहारा वर्ग का उल्लेख मार्क्सवाद में मिलता है। मार्क्सवाद के अनुसार समाज के दो वर्ग होते हैं। पूँजीपति वर्ग और सर्वहार यानि मजदूर वर्ग। सर्वहार वर्ग से तात्पर्य उस समाज के उस वर्ग से है, जो शारीरिक श्रम से अपनी जीविका चलाते हैं। इस वर्ग में मजदूर, किसान और श्रमिकवर्ग के लोग आते हैं।
¿ वैदेही वनवास किसकी रचना है।
➲ अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध
✎... ‘वैदेही वनवास’ अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा रचित रचना है। यह एक खंडकाव्य है, जिसका प्रकाशन 1940 ईस्वी में हुआ था। इस खंडकाव्य के माध्यम से कवि ने राम कथा के वैदेही वनवास यानि सीता वनवास प्रसंग का वर्णन किया है।
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केंचुआ छंद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की देन हैं।
- केंचुआ और रबर छंद मुक्त छंद को कहा जाता हैं।
- मुक्त छंद धुनिक युग की देन है।
- मुक्त छंद की परिभाषा : "मुक्तछन्द कविता का वह रूप है जो किसी छन्दविशेष के अनुसार नहीं रची जाती न ही तुकान्त होती है"।
सर्वहार वर्ग का उल्लेख मार्क्सवाद में मिलता है।
- मार्क्स मानव इतिहास में की सर्वहारा वर्ग की अवस्थाएँ बताता हैं।
- यह पांचवा युग हैं जहां श्रमिक उत्पादन के साधनों पर अपना अधिकार स्थापित करना हैं और पूंजीवाद का अन्त करना हैं।
वैदेही वनवास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचना है ।
- यह एक खंडकाव्य हैं ।
- इसे उन्होंने 1940 ई . में लिखा था। इस खंडकाव्य में उन्होंने राम कथा के सीता वनवास के बारे में बताया था ।इसमें उन्होंने रामजी का सीता माता के लिए प्रेम भी बताया था।