2. किसी भी राष्ट्र की प्रगति एवं विकास में स्त्री-पुरुष का सम्मान सहयोग नितांत आवश्यक है। इसी
धारणा से प्रेरित होकर प्राचीन भारतीय समाज ने पुरुष के समान नारी को भी गौरवपूर्ण स्थान प्रदान
किया था और नारी समाज प्रदत गौरव के अनुरूप कार्यों में दत चित कर बहती आई थी ।वास्तव में नारी
घर की शोभा है ,समाज की शोभा है और राष्ट्र की शोभा भी ।सामाजिक जीवन की पत्रता सुख शांति एवं
समृद्धि में इसका बड़ा हाथ है ।जिस प्रकार प्रकृति बिना पुरुष का कार्य अपूर्ण है । उसी प्रकार नारी के
बिना नर का जीवन भी अपूर्ण है।
प्रश्न
१. राष्ट्र की प्रगति में नारी का स्थान क्या था?
२. प्राचीन भारतीय समाज में नारी का स्थान क्या था?
३. नारी किस की शोभा है?
४. नारी का पुरुष के जीवन में क्या स्थान है?
५इस गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए?
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1.pahla astha
2. tisra asthan
3.enviroment ki
4.naari wimars
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