2) काव्य का शीर्षक 'एक जगत एक लोक' क्यों रखा गया है?
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कवि का कथन पूर्णतया सत्य है कि हमारा विश्व एक जगत और एक ही लोक है पृथ्वीलोक सारी दुनिया ईश्वर को ही संतान है। हम सब धरतीवासी एक ही परिवार की तरह हैं।
यह पूरी दुनिया एक है । संसार के सभी मानव भी एक ही है । इस संसार के सभी लोगों को सम्मान मिलना चाहिए । पूरे संसार को एक ही चंद्र की रोशनी मिलती है । एक ही सूर्य पूरे लोक में उजाला फैलाता है । संसार के सभी जीव एक ही आसमान के नीचे एक ही धरती पर रहते हैं । इसलिए कवि ने ‘एक जगत, एक लोक’ ऐसा कहा है ।यह पूरी दुनिया एक है । संसार के सभी मानव भी एक ही है । पूरे संसार को एक ही चंद्र की रोशनी मिलती है । एक ही सूर्य पूरे लोक में उजाला फैलाता है । इस संसार में सबको एक समान हवा और पानी मिलता है । भगवान ने हम सबको एक समान शरीर दिया है । उसमें बहने वाला रक्त, हड्डियाँ और प्राण भी एक ही है । हम सब का जीवन सुख और दु:ख की कहानी हैं । इस प्रकार कवि ने इस पूरे जगत के लोगो को एक समान बताया है । इसलिए इस काव्य का शीर्षक ‘एक जगत, एक लोक’ ऐसा रखा गया है ।