2 'कबीर द्वारा अभिव्यक्त विचार आज भी हमारे समाज के लिए
उपयोगी हैं।' सोदाहरण विवेचन कीजिए।
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कबीर द्वारा अभिव्यक्त विचार आज भी हमारे समाज के लिए उपयोगी हैं।' सोदाहरण विवेचन कीजिए।
कबीर आज इस दुनिया में नहीं हैं, मगर उनकी कही गई बातें आज भी हम सभी के लिए अंधेरे में रोशनी का काम करती हैं| कबीर जी सन्त कवि और समाज सुधारक थे।
कबीर जी के दोहे आज तक ज्ञान देते है| हम आज तक कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं | कबीर जी ने रूढ़ियों, सामाजिक कुरितियों, तिर्थाटन, मूर्तिपूजा, नमाज, रोजादि का खुलकर विरोध किया |
सोदाहरण
समय के सदुपयोग के महत्व को समझते हुए कबीर दास जी ने कहा कि ''काल करें जो आज कर, आज करें सो अब।
जीवन बहुत छोटा होता है , हमें कोई भी काम कल पर नहीं डालना चाहिए | जो काम है आज के आज खत्म कर लेना चाहिए | कल कभी नहीं आता |
कबीर की साखी में कबीर जी यह समझाना चाहते है : हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वाले का मन भी प्रसन्न हो उठे।
हमें कड़वे वचन नहीं बोलने चाहिए | हमेशा सबसे प्यार से और हंस के बात करनी चाहिए| खुद को भी सुख की अनुभूति होती है।
संत कबीर दास के दोहे-परोपकार पर ही यश मिलना संभव
1 ) जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुन देत
बिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत।
कबीर जी कहते है : जो अपने हेतु किए गए के बदले में कुछ करता है वह स्वार्थी है।
जो किसी के किए गए उपकार के बिना किसी का उपकार करता है। वह परमार्थ के लिये करता है। हमें हमेशा सब की मदद करनी चाहिए | और बदले की भावना नहीं रहनी चाहिए|
2 ) सुख के संगी स्वार्थी, दुख मे रहते दूर
कहे कबीर परमारथी, दुख सुख सदा हजूर।
कबीर जी कहते है : स्वार्थी व्यक्ति सुख का साथी होता है। वह दुख के समय दूर ही रहते है।
कबीर कहते हैं कि एक परमार्थी सर्वदा सुख-दुख में साथ निभाते है। परोपकारी मनुष्य सर्वदा सुख-दुख में साथ निभाते है।