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कर्नाटक की शिल्पकला का परिचय दीजिए
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प्रतीक
अगर भीड़भाड़ भरे समुद्री तटों और प्राकृतिक सौंदर्य खो चुके पर्यटन स्थलों से आजिज आ चुके हैं तो कर्नाटक के रमणीक स्थल आप का इंतजार कर रहे हैं. प्राकृतिक, अनछुए सौंदर्य और ताजगी व सुकून से भरे पर्यटन स्थलों की आबोहवा आप के जीवन में तरंग भर देगी.
अच्छा होता यदि भारत में देशाटन की परंपरा को महज धार्मिक भावनाओं की नींव पर रख कर विकसित न किया गया होता. फिर इस निर्धन देश के छोटेछोटे शहरों से ले कर सुदूर गांवों तक में रहने वाले नागरिक सैलानीपन के नाम पर अपने मन में केवल चारों धाम की यात्रा के सपने न संजोते. धर्म के दुकानदारों ने रामेश्वरम से ले कर कैलास पर्वत तक और द्वारका से ले कर गंगासागर तक तीर्थस्थलों को बेच कर सैलानियों की सोच को परंपरागत तीर्थस्थानों तक सीमित रख दिया.
आज का समृद्ध और शिक्षित वर्ग पर्यटन के आनंद को धार्मिक अंधविश्वास के अलावा अंगरेजों द्वारा विकसित किए हुए पर्वतीय हिल स्टेशनों को छोड़ कर अन्य रमणीक स्थलों को अनदेखा कर देता है क्योंकि ऐसी हर जगह में जहां प्रकृति ने उन्मुक्त सुंदरता तो लुटाई है पर पहुंचने, रुकने और ठहरने की साधारण सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. पर्यटन सुविधाओं के अभाव ने एक भेड़चाल वाली मनोवृत्ति को बढ़ावा दिया है जिस के वशीभूत इस वर्ग के सैलानी को गरमी में केवल शिमला, मसूरी, नैनीताल, मनाली, कश्मीर और दार्जिलिंग जैसे हिलस्टेशन ही दिखते हैं और सर्दियों में गोआ के समुद्रतट.
मनमोहक सौंदर्य
रमणीक स्थल यदि कोई खोजना चाहे जिन के प्राकृतिक सौंदर्य के आगे हमारे ख्यातिप्राप्त पर्यटन स्थल भी फीके लगें तो उत्तरी कर्नाटक के समुद्रतट पर बिखरे हुए अनमोल रत्नों की तरफ उसे उन्मुख होना चाहिए.
गोआ के खूबसूरत समुद्रतट तक को तो बहुत सारे लोग पहुंचते हैं पर वहां उमड़ी भारी भीड़ उत्साह फीका कर देती है. सैलानी यदि दक्षिण दिशा में गोआ से थोड़ा ही अर्थात केवल डेढ़दो सौ किलोमीटर और आगे जाएं तो उत्तर कर्नाटक के रमणीक समुद्रतट पर बिखरे हुए बेहद खूबसूरत छोटेछोटे शहर, कसबे और गांव अपने अद्भुत सौंदर्य से उन्हें सम्मोहित कर देंगे. चांदी सी चमकती रेत वाले समुद्रतट जिन्हें उद्योगजन्य प्रदूषण का अभिशाप नहीं झेलना पड़ा है, इन तटों के विस्तार को बीचबीच में तोड़ती हुई छोटीछोटी नदियां जो समुद्र तक गजगामिनी सी मंथर गति से आ कर उस में निस्तब्ध हो कर विलीन हो जाती हैं और अचानक कहींकहीं इस धरातली एकरसता को भंग करते हुए अकेले निर्जन में प्रहरी की तरह तना खड़ा हुआ कोई प्रकाश स्तंभ (लाइट हाउस), ये सब कुल मिला कर एक ऐसे अछूते सौंदर्य की संरचना करते हैं जिन से अनूठी शांति का एहसास होता है. इन्हीं के बीचबीच में मछुआरों के छोटेछोटे गांव अचानक याद दिला देते हैं कि बिना बाजारवाद के दंश का अनुभव कराने वाले बाजार भी हो सकते हैं.
ठहरने, रहने, खानेपीने की 2-3 सितारों वाली भी सुविधाएं कोई खोजे तो निराशा हाथ लगेगी. पर अनेक छोटे से ले कर मध्यम श्रेणी के शहर ऐसे रमणीक स्थलों से दूर नहीं हैं. वहां ठहर कर समुद्रतट के राजमार्ग से पर्यटक आसानी से ऐसे शांत स्थानों तक आ सकते हैं और थोड़ा भी पैदल सैर करने वालों के लिए तो असीम संभावनाओं से भरा हुआ है यह क्षेत्र.
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