2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं
खड़ी होती?
3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?
4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-'ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़
दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।'-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-'ये कैसी
इच्छा / मेरे मन में जगी?' नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार
व्यक्त कीजिए-
• उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
.उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
• वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए
रखने के उपाय सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
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2)कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती? उत्तर:- कठपुतली अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है अर्थात् पराधीनता उसे पसंद नहीं लेकिन खड़ी नहीं होती क्योंकि उसके पैरों में स्वतंत्रत रूप से खड़े होने की शक्ति नहीं है।
3)पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को अच्छी लगी क्योंकि पहली कठपुतली स्वतंत्र होने की बात कर रही थी और दूसरी कठपुतलियाँ भी बंधन से मुक्त होकर आज़ाद होना चाहती थीं।
4)पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-'ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो; मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो। ... उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी। . उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
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