2. कवि ऐसा क्यों कहता है-"विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं।"
3. दुख की घड़ी में कवि की क्या अपेक्षा है ?
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2. विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं'- के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि हे ईश्वर ! मेरे जीवन में जो भी दुख और कष्ट आने वाले हैं आप उनसे मुझे मत बचाओ। मैं आपसे इसको सहने के लिए साहस और शक्ति माँगता हूँ ताकि इन दुखों से घबराकर हार न मान बैठें। मैं साहसपूर्वक इनसे संघर्ष करना चाहता हूँ।
3. कवि सुख के दिनों में ईश्वर के सम्मुख नत-सिर होकर कण-कण में ईश्वर के दर्शन करना चाहता है। दुःख के दिनों में वह ईश्वर की सत्ता पर संशय नहीं करना चाहता।
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