2. कवि कैसे संसार को ठुकराता है?
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कवि परहित के लिए त्याग में विश्वास करता है जबकि संसार संग्रह में लगा है। वह तो जग जीवन का भार उठाए हुए भी जगत को प्यार बाँटा करता है। अपने डर के उपहारों से सभी के मन प्रसन्न करना चाहता है। अत: वह धन-संपत्ति के पीछे भागने वाले संसार को कैसे स्वीकार का सकता है।
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कवि परहित के लिए त्याग में विश्वास करता है जबकि संसार संग्रह में लगा है। वह तो जग जीवन का भार उठाए हुए भी जगत को प्यार बाँटा करता है। अपने डर के उपहारों से सभी के मन प्रसन्न करना चाहता है। अत: वह धन-संपत्ति के पीछे भागने वाले संसार को कैसे स्वीकार का सकता है।
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