(2) कवि नई मुस्कान कहाँ देखना चाहते हैं ?
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‘द्वारका प्रसाद माहेश्वरी’ द्वारा रचित कविता “उठो धरा के अमर सपूतों” में कवि नई मुस्कान देश के लोगों में देखना चाहते हैं। वह देश के नागरिक रूपी मुरझाए फूलों में नई मुस्कान देखना चाहते हैं। कवि देश के अमर सपूतों को का आह्वान करते हुए कहते हैं कि हे देश के अमर सपूतों उठो और देश के मुरझाए फूलों में नई मुस्कान भरो। हमारा देश जो सदियों तक पराधीनता के जंजीरों में जकड़ा रहा है। मुगलों, अंग्रेजों आदि ने सभी ने इस देश पर राज किया और अत्याचार एवं शोषण किए। अब हमें उन सब से आजादी मिल गई है अब समय है कि हम अपने देश का निर्माण करें और देश के हर एक नागरिक में एक नई मुस्कान भर दे ताकि युगों-युगों से मुरझाए देशवासियों के चेहरे पर सुकोमल मुख्य मुस्कान आ सके।
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Answer:
दिलो के फूल स्वतंत्रा के प्रकाश में लिखते है । हमारा देश सदियों तक गुलामी के अंधेरे में रहा था / विदेशी साशक यहाँ के लोगो पर अत्याचार करते रहे । अन्याय और तरह-तरह का शोषण सहते-सहते लोग अपना स्वाभिमान खो बैठे / उनके दिलो में उदासी छा गई / कवि की इच्छा है की ऐसे मुर्दा दिलो में फ़िर से नए झीवन का सचार हो / इस प्रकार कवि युग-युग से लोगो के मुरझाए हुआ ह्ृदयसुमानो पर नै चाहते है ।