Hindi, asked by vaibhavpsingh27, 14 hours ago

2. कविता के शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
From chapter vakt​

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Answered by venom0136
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HEY BRO ANSWER IS CORRECT THEN ONLY GIVE ME THE LIKE AND BRAINLIST ANSWER OK

हर पल

कुछ नया सिखाया था

खो रहे जुनून को

उत्साह से उठाया था

वक्त ने हर क्षण कुछ नया सिखाया था ।

वक्त ने दोस्ती का साथ

इस कदर निभाया था

मानो बाती ने जलकर

दीपक का साथ निभाया था

समुन्दर की गहराईयों से जैसे

गोताखोरों ने मोती खोजा हो

वक्त ने मेरे जख्मों को

इस कदर मिटाया था।

अपनों की वेदना

टीस दे गयी दिल को

छिन गया दिल का सुकून

छिन गया अपनापन

अपनों से नफरतों की धूप

झुलसा गयीं मुझको

खुशी चाही थी उनसे

मगर बातें रुला गयीं मुझको

अपनों की तपन ने जलाया तन बदन

न कोई अपना था न ही अपनापन

एक हाथ बढा मेरी ओर

वह कोई और नहीं था

वक्त ही था

जिसने पेड बनकर

मुझे धूप से बचाया था

अपनी स्नेह छावं देकर

मेरी जलन को मिटाया था

वक्त ने हर पल कुछ

रो पडा इस दुनियां में

अकेला तन्हा होकर

कहां जाउं किससे मिलूं

यही सोचकर

किसकी गोदी में रोउं

अपना सिर रखकर

या मर ही जाउं मै

आखिर रो रोकर

किससे कहूं कि

मुझे किसी ने नहीं अपनाया था

तभी किसी हाथ ने

मेरे कांधे को थपथपाया था

वो कोई और नहीं

वक्त ही था

जिसने मां बनकर

मुझे अपने आंचल में छुपाया था

वक्त ने हर पल कुछ नया सिखाया था ।

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