2. कवययत्री अपने जीवन रूपी नाव को ककससे खीींच रही है? और वह कै सी है?
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वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है। वाख में 'रस्सी' शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को इस संसार रुपी सागर में खींच रहा है।
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कवययत्री अपने जीवन रूपी नाव को ककससे खीींच रही है? और वह कै सी है?वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है। वाख में 'रस्सी' शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को इस संसार रुपी सागर में खींच रहा है।0
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