2. लार्ड कार्नवालिस के प्रशासनिक सुधारों का वर्णन कीजिए
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ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को एक कंपनी से राज्य के रूप में परिवर्तित कर दिया। कार्नवालिस के द्वारा किए गए सुधारों पर चर्चा कीजिए।
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कार्नवालिस ने अपने प्रशासनिक एवं अन्य सुधारों के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को एक कंपनी से राज्य के रूप में परिवर्तित कर दिया। उसने न्याय व्यवस्था, पुलिस प्रशासन, कर प्रणाली, स्थानीय शासन तथा लोक सुरक्षा आदि में अनेक सुधार किए। कार्नवालिस के द्वारा किए गए महत्वपूर्ण सुधार निम्नलिखित है —
प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार
कार्नवालिस ने सबसे पहले जिले की शक्ति को कलेक्टरों के हाथों में केंद्रित कर दिया। 1787 में जिला कलेक्टरों को दीवानी अदालतों के दीवानी न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया तथा इसके अतिरिक्त उन्हें फौजदारी शक्तियां और सीमित मामलों में फौजदारी न्याय करने का भी अधिकार दे दिया गया। उसने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 तक अंतिम रूप देकर कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया। यह सुधार प्रसिद्ध सिद्धांत “ शक्तियों के पृथक्करण” पर आधारित था। उसने कर तथा न्याय प्रशासन को पृथक कर दिया। उस समय तक जिले में कलेक्टरों के पास भूमि कर विभाग तथा विस्तृत न्याय तथा दंडात्मक शक्तियां होती थी। उसने कार्नवालिस संहिता के द्वारा कलेक्टर की न्यायिक तथा फौजदारी शक्तियां वापस ले ली, तथा उसके पास अब केवल कर संबंधी शक्तियां ही रह गयी। जिला दीवानी न्यायालयों में कार्य के लिए नए अधिकारियों की श्रेणी गठित की तथा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई। इनको फौजदारी तथा पुलिस के कार्य भी दे दिए गए। इसके अतिरिक्त कार्नवालिस ने कानून की विशिष्टता का नियम जो इससे पूर्व भारत में नहीं था को लागू कर दिया। साथ ही उसने फौजदारी न्याय व्यवस्था में अनेक परिवर्तन किये। भारतीय अधिकारियों के अधीन कार्य करने वाले जिला फौजदारी न्यायालय समाप्त कर दिए गए तथा जिला न्यायधीश को अपराधियों अथवा व्यवस्था भंग करने वालों को बंदी बनाने की आज्ञा देने का अधिकार दे दिया गया।
कार्नवालिस की न्याय प्रणाली पश्चिम की न्यायिक धारणाओं और निष्पक्षता पर आधारित थी।उसके कार्यकर्ताओं के निजी कानून अथवा धार्मिक कानून का स्थान एक धर्मनिरपेक्ष कानून ने ले लिया तथा भारत में पहली बार विधि के शासन की विशिष्टता प्रारंभ हुई।
पुलिस व्यवस्था में सुधार
कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को लागू करने तथा उनका अनुपूरण करने के लिए पुलिस प्रशासन ने महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। पुलिस के कर्मचारियों में तत्परता तथा ईमानदारी लाने के लिए कार्नवालिस ने उनके वेतन बढ़ा दिए तथा चोरों एवं हत्यारों को पकड़ने पर पुरस्कार देने का प्रस्ताव किया। उसने पुलिस अधीक्षक के पद का गठन किया और थाने की व्यवस्था प्रारंभ की जिसमें दरोगा नामक अधिकारी की नियुक्ति की जाती थी।
कर प्रणाली में सुधार
कार्नवालिस ने कर प्रणाली में सुधार की इच्छा से 1787 में प्रांत को राजस्व क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जिस पर एक कलेक्टर नियुक्त किया गया। पुरानी राजस्व समिति का नाम राजस्व बोर्ड रख दिया गया इसका कार्य कलेक्टरों के कार्य का निरीक्षण करना था। 1790 में कार्नवालिस ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की अनुमति से जमींदारों को भूमि का स्वामी स्वीकार कर लिया। उसके द्वारा प्रारंभ की गई स्थाई बंदोबस्त भू राजस्व वसूली के बदले जमींदारों को इसका एक निश्चित दिशा प्रदान किया जाता था। पहले यह व्यवस्था 10 वर्ष के लिए की गई परंतु 1793 में इसे स्थायी बना दी गयी।
अन्य सुधार
कार्नवालिस ने अन्य सुधारों के अंतर्गत अधिकारियों के भ्रष्टाचार और घूस लेने को रोकने का प्रयास किया। उसने अधिकारियों के उपहार लेने तथा निजी व्यापार करने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया। कार्नवालिस ने इस प्रश्न की वास्तविकता को समझा और अनुभव किया कि कंपनी के कार्यकर्ताओं के वेतन कम होने के कारण ही इन लोगों को भ्रष्ट उपायों से धन कमाना पड़ता है। अतएव उसने इन कार्यकर्ताओं के वेतन बढ़ा दिए।
Answer:
माना जाता है कि लॉर्ड कार्नवालिस ने पूरे भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखी थी और भारत में ब्रिटिश काल के अंत तक अदालत, राजस्व और सेवाओं में विभिन्न सुधार हुए थे।
देश में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए, कॉर्नवालिस को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से संबंधित अधिकार दिया गया था।
उन्होंने ऐसे नियम स्थापित किए जो केवल योग्य व्यक्तियों को ही सेवाओं में शामिल होने की अनुमति देते थे, भले ही उनके उच्च अधिकारियों के साथ उनके संबंध हों।
शीर्ष पद यूरोपीय लोगों के लिए आरक्षित थे जबकि भारतीयों को चपरासी और क्लर्क जैसे निम्न श्रेणी के पदों की पेशकश की गई थी।
कंपनी का निजी व्यापार पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था।
कॉर्नवालिस ने जिलों, प्रांतों और राज्यों में अदालतें स्थापित कीं। उच्चतम न्यायालय कलकत्ता का सर्वोच्च न्यायालय था।
दीवानी और फौजदारी मामलों के लिए अलग-अलग अदालतें थीं।
कॉर्नवालिस ने अदालती फीस को समाप्त कर दिया और फिर वकीलों को अपनी फीस निर्धारित करनी पड़ी।
लोगों द्वारा अपनी गलतियों के लिए सरकारी सेवकों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
उन्होंने अंग, नाक और कान काटने जैसे कठोर दंड पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
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