Hindi, asked by dmohan7081, 19 days ago

2)<br />शिक्षण द्वारा उन्होंने बाहर से कुछ नहीं लिया था। सचमुच उनमें तो आर्य आदर्श को शोभा देने वाले<br />कौटुम्बिक सदगुण ही थे। असाधारण मौका मिलते ही और उतनी ही असाधारण कसौटी आ पड़ते ही<br />उन्होंने स्वभावसिद्ध कौटुम्बिक सदगुण व्यापक किए और उनके जोरों हर समय जीवनसिद्धि हासिल की।<br />सूक्ष्म प्रमाण में या छोटे पैमाने पर जो शुद्ध साधना की जाती है, उसका तेज इतना लोकोत्तरी होता है कि<br />चाहे कितना ही बड़ा प्रसंग आ पड़े, या व्यापक प्रमाण में कसौटी हो, चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति<br />का सिर्फ गुणाकार ही करने का होता है।<br />(अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।<br />(ब) रेखांकित वाक्यों की व्याख्या कीजिए।<br />(स) काका कालेलकर के अनुसार शुद्ध साधना का तेज कैसा होता है?<br />​

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Answered by sajjankumarsingh9721
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Answer:

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