(2) मैं गरुड़, कृष्ण ! मैं पक्षिराज, सिर पर न चाहिए मुझे ताज,
दुर्योधन पर है विपद धोर, सकता न किसी विध उसे छोड,
रणत पाटना है मुझको,
अहिपाश काटना है मुझको।
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sorry don't know the answer
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