2. िमाज में निम्ि और
वपछड़े िोगों के सिए तुम
क्या करिा चाहते हो|
Answers
Answer:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
आज का विद्यार्थी भविष्य की सोच में कुछ अधिक लग गया है। भविष्य कैसा होगा, वह भविष्य में क्या बनेगा, इस प्रश्न ,
को सुलझाने में या दिवास्वप्न देखने में वह बहुत समय नष्ट कर देता है। भविष्य के बारे में सोचिए जरूर, लेकिन भविष्य को
वर्तमान पर हावी मत होने दीजिए क्योंकि वर्तमान ही भविष्य की नींव बन सकता है। अत: नींव को मजबूत बनाने के लिए
आवश्यक है कि भान तो भविष्य का भी हो, लेकिन ध्यान वर्तमान पर रहे। आपकी सफलता का मूलमंत्र यही हो सकता है कि
आप एक स्वप्न लें, सोचें, कि आपको क्या बनना है और क्या करना है और स्वप्न के अनुसार कार्य करना प्रारंभ करें। वर्तमान
रूपी नींव को मजबूत करें और यदि वर्तमान रूपी नींव सबल बनती गई, तो भविष्य का भवन भी अवश्य बन जाएगा। जितनी
मेहनत हो सके, उतनी मेहनत करें और निराशा को जीवन में स्थान न दें। यह सोचते हुए समय खराब न करें कि अब मेरा क्या
होगा. मैं सफल भी हो पाऊँगा या नहीं? ऐसा करने में आपका समय नष्ट होगा और जो समय नष्ट करता है, तो समय उसे नष्ट
कर देता है। वर्तमान में समय का सदुपयोग भविष्य के निर्माण में सदा सहायक होता है। भविष्य के बारे में अधिक सोच या
अधिक चर्चा करने से चिंताएँ घेर लेती हैं। ये चिंताएँ वर्तमान के कर्म में बाधा उत्पन्न करती हैं। ये बाधाएँ हमारे उत्साह को, लगन
को धीमा करती हैं और लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाता है। नि:संदेह भविष्य के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, किंतु वर्तमान को
विस्मृत नहीं करना चाहिए। भविष्य की नींव बनाने में वर्तमान का परिश्रम भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
(क) आज का विद्यार्थी अपना समय किन बातों में नष्ट कर देता है ? इसे त्याज्य क्यों माना गया है?
। (ख) हमारी सफलता का मूलमंत्र क्या हो सकता है और कैसे?
। (ग) समय का हमारे जीवन में क्या महत्त्व बताया गया है?
(घ) हम अंतत: लक्ष्य से कैसे दूर होते जाते हैं ? इससे कैसे बचा जा सकता है?
। (ङ) भविष्य व वर्तमान में से कौन अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
Answer:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
आज का विद्यार्थी भविष्य की सोच में कुछ अधिक लग गया है। भविष्य कैसा होगा, वह भविष्य में क्या बनेगा, इस प्रश्न ,
को सुलझाने में या दिवास्वप्न देखने में वह बहुत समय नष्ट कर देता है। भविष्य के बारे में सोचिए जरूर, लेकिन भविष्य को
वर्तमान पर हावी मत होने दीजिए क्योंकि वर्तमान ही भविष्य की नींव बन सकता है। अत: नींव को मजबूत बनाने के लिए
आवश्यक है कि भान तो भविष्य का भी हो, लेकिन ध्यान वर्तमान पर रहे। आपकी सफलता का मूलमंत्र यही हो सकता है कि
आप एक स्वप्न लें, सोचें, कि आपको क्या बनना है और क्या करना है और स्वप्न के अनुसार कार्य करना प्रारंभ करें। वर्तमान
रूपी नींव को मजबूत करें और यदि वर्तमान रूपी नींव सबल बनती गई, तो भविष्य का भवन भी अवश्य बन जाएगा। जितनी
मेहनत हो सके, उतनी मेहनत करें और निराशा को जीवन में स्थान न दें। यह सोचते हुए समय खराब न करें कि अब मेरा क्या
होगा. मैं सफल भी हो पाऊँगा या नहीं? ऐसा करने में आपका समय नष्ट होगा और जो समय नष्ट करता है, तो समय उसे नष्ट
कर देता है। वर्तमान में समय का सदुपयोग भविष्य के निर्माण में सदा सहायक होता है। भविष्य के बारे में अधिक सोच या
अधिक चर्चा करने से चिंताएँ घेर लेती हैं। ये चिंताएँ वर्तमान के कर्म में बाधा उत्पन्न करती हैं। ये बाधाएँ हमारे उत्साह को, लगन
को धीमा करती हैं और लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाता है। नि:संदेह भविष्य के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, किंतु वर्तमान को
विस्मृत नहीं करना चाहिए। भविष्य की नींव बनाने में वर्तमान का परिश्रम भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
(क) आज का विद्यार्थी अपना समय किन बातों में नष्ट कर देता है ? इसे त्याज्य क्यों माना गया है?
। (ख) हमारी सफलता का मूलमंत्र क्या हो सकता है और कैसे?
। (ग) समय का हमारे जीवन में क्या महत्त्व बताया गया है?
(घ) हम अंतत: लक्ष्य से कैसे दूर होते जाते हैं ? इससे कैसे बचा जा सकता है?
। (ङ) भविष्य व वर्तमान में से कौन अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।