2. 'मा निषाद त्वमगमः' श्लोक के दोनों अर्थों में अंतर बताएँ।
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इस श्लोक का साधारण सा अर्थ है- हे निषाद! त्वं यत् क्रौञ्चमिथुनादेकं काममोहितम् अवधीः शाश्वतीः समाः प्रतिष्ठां मा अगमः अर्थात् हे निषाद, तुम अनंत वर्षों तक प्रतिष्ठा प्राप्त न कर सको, क्योंकि तुमने क्रौंच पक्षियों के जोड़े में से कामभावना से ग्रस्त एक का वध कर डाला है।
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