2. मैं सिखलाता हूँ कि जियो और जीने दो संसार को,
जितना ज्यादा बाँट सको तुम बाँटो अपने प्यार को।
हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी,
चलो इस तरह, कुचल न जाए पग से कोई शूल भी।
सुख न तुम्हारा सुख केवल, जग का भी उसमें भाग है,
फूल डाल का पीछे, पहले उपवन का शृंगार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।
उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) पद्यांश में आई सुप्रसिद्ध सूक्ति को लिखिए।
(ख) कवि ने क्या बाँटने की प्रेरणा दी है?
(ग) कवि ने 'धूल' का उदाहरण क्यों दिया है?
(घ) फूल पहले किसकी शोभा है?
(ङ) कवि ने अपना घर किसे कहा है
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क) जीयो और जीने दो।
ख) प्यार बांटने की।
घ) उपवन की
ड) संसार को
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