2. मिस लीमा की अपनी कक्षा में विभिन्न क्षमताओं
वाले विद्यार्थी हैं। कक्षा शिक्षण को समावेशी बनाने के
लिए उसे निम्नलिखित में से किस से बचना चाहिए? *
Answers
भारत की विशिष्ठ शिक्षा आयामों में एक महत्वपूर्ण आयाम हैं- ''समावेशित शिक्षा''
समावेशी शिक्षा में अनेक तरह के विद्यार्थी होते हैं जैसे- यूनिसेफ, यूनेस्को एवं एन.सी.ई. आर.टी. के प्रतिवेदन में बतलाया गया है कि समावेशी शिक्षा मे दिव्यांग, सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर, भाषाई अल्पसंख्यक एवं ,जाति, वर्ग, धर्म, आय एवं लैंगिक , विभिन्न परिवेश से आए हुए विद्यार्थियों आधार पर कई प्रकार के विभेद निषेध हैं)
- बल्कि समावेशी कक्षा में दिव्यांग (शारीरिक, दृष्टिबाधित, श्रवणह्रास), सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर, भाषाई अल्पसंख्यक एवं विभिन्न परिवेश से आए हुए विद्यार्थियों का शिक्षण कार्य किया जाता है,
- जिससें शिक्षक को विशेष शिक्षण कला एवं दक्षता से युक्त होना पड़ता है साथ ही कक्षा में शिक्षक कों इन विद्यार्थियों को शिक्षण कार्य करते समय विभिन्न प्रकार की विशेष सामग्रीयो एवं साधनों की आवश्यकता पड़ती है।
- कक्षा में शिक्षक को शिक्षण में सहकारी शिक्षण, परियोजना शिक्षण, सहयोगात्मक शिक्षण विधि आदि का उपयोग विद्यार्थियों की विभिन्नता के अनुकूल किया जाए।
- समावेशी शिक्षा की कक्षा में शिक्षकों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- समावेशी शिक्षा ही वह जरिया है जिसके द्वारा वंचित समाज की शिक्षा के लक्ष्य को पूरा जा सकेगा |
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Q.1.- निम्नलिखित संरचनाओं में से शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 किसकी वकालत करता है? (1) समावेशी शिक्षा (2) पृथक्करण (3) मुख्यधारा शिक्षण (4) एकीकृत
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Q.2.- भारत में समावेशी विकास की अवधारणा
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समावेशी शिक्षा में मिस लीना को अपनी कक्षा में जेंडर और योग्यता के आधार पर बच्चों को अलग-अलग बैठाने से बचना चाहिए।
समावेशी शिक्षा से आशय विभिन्न क्षमताओं वाले विद्यार्थियों और सामान्य विद्यार्थियों को एक साथ शिक्षा देने से है। समावेशी शिक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले विद्यार्थियों को सामान्य विद्यार्थियों के साथ ही पढ़ाया जाए है ताकि विभिन्न क्षमता वाले विकलांग छात्रों को किसी प्रकार का दुःख न हो और वह अपने मन में अपने आप किसी से कम न सोचे और वह समाज के सामान्य वर्ग से समान रूप जुड़ सकें।
समावेशी शिक्षा के अंतर्गत सामान्य एवं विकलांग विद्यार्थियों को साथ बैठाकर सामान्य रूप से पढ़ाया जाता है ताकि सामान्य विद्यार्थी और विभिन्न क्षमता वाले विद्यार्थी में कोई भेदभाव ना रहे और दोनों तरह के विद्यार्थी एक दूसरे को ठीक ढंग से समझते हुए आपसी सहयोग से अपनी पढ़ाई को जारी रखें। विकलांग विद्यार्थी अपने आप को किसी से अलग न समझे और उन्हें मन में किसी प्रकार का दुःख न हो और वह समाज में सब की तरह शामिल हो सके|