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'मुश्किल है आज रामन् की राह पर चलना'
निबन्ध के लेखक हैं :
(A)
धर्मवीर भारती
(B)
प्रभाष जोशी
(C)
गुणाकर मुले
(D)
मुद्राराक्ष
Answers
मुश्किल है आज रामन् की राह पर चलना' निबन्ध के लेखक हैं :
इसका सही जवाब है :
(C) गुणाकर मुले
व्याख्या :
मुश्किल है आज रामन् की राह पर चलना' निबन्ध के लेखक गुणाकर मुले है | गुणाकर मुले मराठी भाषाई ऐसे हिन्दी निबंधकार है | इनका जन्म 1935 महाराष्ट्र के अमरावती क्षेत्र के सिदी बुग में हुआ था | वह मूलत: पत्रकार है | उनकी रूचि सदैव वैज्ञानिक विषयों पर लेख लिखने की रही है |
‘मुश्किल है रामन् की राह पर चलना’ निबन्ध के लेखक हैं...
➲ गुणाकर मुले
स्पष्टीकरण एवं व्याख्या...
❝ ‘मुश्किल है रामन की राह पर चलना’ इस निबंध के लेखक ‘गुणाकर मुले’ हैं। ❞
➤ ‘मुश्किल है रामन की राह पर चलना’ एक निबंध है, जिस की रचना प्रसिद्ध विज्ञान लेखक गुणाकर मुले ने की की।
यह निबंध भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरामन पर केंद्रित है। ये निबंध 28 फरवरी को प्रकाशित हुआ था, क्योंकि भारत में 28 फरवरी को विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन चंद्रशेखर वेंकटरमन की क्रांतिकारी खोज ‘रमन प्रभाव’ को मान्यता मिली।
इस निबंध के माध्यम से लेखक विवेचन करते हैं कि भले ही 28 फरवरी को हम विज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं और ताकि हम वेकंटरामन से प्रेरणा ले सकें लेकिन उनकी राह पर चलना आसान नहीं है।
गुणाकर मिले गुणाकर मूलतः मराठी भाषी थे, लेकिन वो हिंदी और अंग्रेजी में विज्ञान लेखन के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में अनेक विज्ञान संबंधी कृतियों की रचना की है। उनका जन्म 3 जनवरी 1935 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के सिंधु बुजुर्ग गाँव में तथा उनकी मृत्यु 16 अक्टूबर 2009 को दिल्ली में हुई थी।
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