Hindi, asked by nirajyadav314, 9 months ago

2. 'मृत्यु
'मृत्यु तो नूतन जन्म है' पंक्ति से कवि का क्या आशय है?​

Answers

Answered by Hemalathajothimani
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Explanation:

गोपालदास नीरज की याद में शुक्रवार को शहर में कई कार्यक्रम होंगे। इसी क्रम में संगीत नाटक अकेडमी के संत गाडगे प्रेक्षागृह में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से 'नीरज स्मृति' कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी और विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री अतुल गर्ग मौजूद रहेंगे।

एम्बुलेंस से आते थे कवि सम्मेलन में

'कौन कहता है कि नीरज मर गया है, वो गया है स्वर्ग में कविता सुनाने...गीत का मुखड़ा सुनाया इस धरा को, अब गया है अंतरा वो गुनगुनाने...।' ये पंक्तियां मैंने नीरज जी के समर्पण को समर्पित की हैं। मुझे याद है कि अलीगढ़ में 'दिल्ली मुशायरे की आखिरी शमां' कार्यक्रम था जिसमें नीरज आखिरी बार बहादुर शाह जफर के किरदार में थे। उनकी तबीयत काफी खराब थी और वह बैठ भी नहीं पा रहे थे। शुरू में नीरज मंच पर आए और सबका स्वागत करके चले गए फिर सामने आजम खान के साथ बैठकर पूरा मुशायरा सुना। कवि सम्मेलनों, मुशायरों के लिए समर्पण ऐसा था कि कई बार एम्बुलेंस से पहुंचते थे। मेडिकल कॉलेज के शताब्दी वर्ष पर हुए मुशायरे में भी एम्बुलेंस से पहुंचे और कविता पढ़कर उसी से वापस चले गए। पंकज प्रसून, व्यंग्यकार

टीटी और यात्री सफर भूल गए

धनबाद में कवि सम्मेलन में नीरज जी के सानिध्य में पढ़ने का मौका मिला। जिसमें डॉ राहत इंदौरी,डॉ कलीम कैसर, डॉ सुमन दुबे, डॉ सबीना अदीब आदि थे। जब हम लोग लौटने लगे तो हमें पता चला नीरज जी और हमारी ट्रेन एक ही थी। फिर क्या था टीटी तक टिकट चेकिंग छोड़कर बैठ गये। नीरज जी की अध्यक्षता और मेरे संचालन में हुए कवि सम्मेलन में राहत साहब से लेकर सबीना अदीब सबने अपनी रचनाएं सुनाईं। फिर नीरज जी ने जितना कम सामान रहेगा,उतना सफर आसान रहेगा सुनाया। कुछ यात्री तो ऐसे थे जिनको उतरना किसी और स्टेशन पर था मगर उतरे मुगलसराय में। जब लखनऊ में उतरे तो नीरज जी के पास दो ब्रीफकेस थे जिसको देखकर राहत इंदौरी ने मजाकिया लहजे में कहा कि दादा ,सामान तो आप के पास ही सबसे ज्यादा है पर आप ही कहते हैं कि जितना कम सामान रहेगा,उतना सफर आसान रहेगा। नीरज जी मुस्कराए और बोले कि अब तुम्हीं बताओ तो राहत इंदौरी ने कहा कि जितना कम समान रहेगा, उतना मुकुल महान रहेगा। मैंने कहा कि दददू मेरे नाम में 'महान' तखल्लुस तो आपने ही दिया,आज वो मेरे लिए सार्थक हो गया। ऐसे कई संस्मरण हैं जो नीरज जी से जुड़े हैं और हमेशा जेहन में कौंधते रहते हैं। जिन्हें कभी नहीं भूल सकते।

मुकुल महान, हास्य व्यंग्य कवि

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