History, asked by diwansingh33311, 5 months ago

2. माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं
को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की
जिद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर
क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।​

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Answered by craftynik510
68

Explanation:

माधव दास के बार बार कहने पर भी वह चिड़िया उसे महत्व इसलिए नहीं दे रही थी क्योंकि वह पैसे से ज्यादा अपने परिवार से प्यार करती थी और वह अपनी मां की गोद में ही बैठकर सोना चाहती थी वह किसी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहती थी please like hope this is write

Answered by crkavya123
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Answer:

चिड़िया को माधवदास से तरह-तरह के लालच मिल रहे थे, लेकिन वह उसे समझ नहीं पा रही थी। उसने मानवीय स्वार्थ को समझने के लिए संघर्ष किया। माधव दास के लिए दुनिया की खूबसूरती बहुत मायने रखती है। उसे एक बार विश्वास था कि वह किसी भी चारा का उपयोग करके किसी को भी नियंत्रित कर सकता है। सभी व्यक्तियों को भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता होती है, इस प्रकार वे लालच में फंस जाते हैं और अधर्म का कार्य करने लगते हैं। माधवदास का भी ऐसा ही विचार था कि पक्षी उनके लालच के आगे झुक जाएगा।

माधव दास ने जो लालच की मिसाल दी, वह चिड़िया समझ नहीं पा रही है। वह एक छोटी चिड़िया जैसा दिखता है। उसे सांसारिक ज्ञान का अभाव है। उनकी मां ही उनके लिए सबकुछ हैं। वह अपनी मां के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती। वह सेट के मोतियों की तुलना में अपनी मां का लाया चुग्गा पसंद करती हैं। उसके पास वह सब कुछ है जो उसे चाहिए, जिसमें सूर्य, वायु, जल, फल और अन्य सभी चीजें शामिल हैं।

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