India Languages, asked by Darklearner7369, 11 months ago

2 min speech on Jai Jawan Jai Kisan in hindi please answer fast in hindi

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Answered by bhuvaneshwari13
16

शास्त्री जी ने यह नारा सन 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान दिया था जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री थे। इस नारे को देश का राष्ट्रीय नारा भी कहा जाता है । इस नारे के बोल यानी शब्दों पर गौर करें तो आपको मालूम पड़ेगा के नारा किस भाव से दिया गया है । इन चार शब्दों में क्या एहसास है ?!!

 

दरअसल यह नारा सरहद पर खड़े जवान एवं खेत में काम करते किसान की अटूट मेहनत एवं श्रम को दर्शाता है। यह नारा शास्त्री जी ने एक पब्लिक रैली के दौरान दिया था, जो की रामलीला मैदान में आयोजित थी। उस दौरान भीषण युद्ध एवं भुखमरी चरम पर थी, शास्त्री जी ने देशवासियों में जोश लाने के लिए एवं प्रोत्साहन के लिए यह नारा लगाया था और उनके साथ साथ पूरे देश ने हुंकार भरी थी। इस नारे के बोल यानी शब्दों ने देश भर की जनता में उत्साह एवं आत्मविश्वास भरा था ताकि वह आगे आने वाली परेशानियों का डट कर सामना कर सके; और सही भी तो है, नेता या समाज के मार्गदर्शक हम में जोश नहीं भरेंगे तो और कौन भरेगा !!

बात रही जवान और किसान की तो हम लोग उनके योगदान की गिनती तो कर ही नहीं सकते हैं, चाह कर भी नहीं कर सकते हैं। इन का समाज में योगदान एवं उपलब्धियां अमूल्य है, अतुल्य हैं !!

सीमा पर खड़ा जवान एवं सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर हमारी रक्षा करता है, उस जवान का देश प्रेम निश्छल है, अमर है। उस सैनिक के घर पर भी पत्नी है, बच्चे हैं, मां बाप है, परंतु वह इन सब एहसासों में बंध कर नहीं रहना चाहता है। वह अपनी धरती मां पर अपनी जान न्योछावर करना चाहता है। देश प्रेम बाकी सभी प्रेम के संबंधों और भावों से सर्वोपरि है, सर्वोच्च है। इस हद तक देश प्रेम की भावना मन में होना के व्यक्ति अपनी जान की ही परवाह ना करें, यह कोई आम बात नहीं है, यह कोई खास इंसान ही कर सकता है, आम व्यक्ति के बस की बात ही नहीं है।

 

सैनिक को अपने अंदर के सभी भाव लोभ, लालच, मोह, माया सभी को छोड़ना होता है, सभी से ऊपर उठना होता है और धरती माता को समर्पित होना पड़ता है, तभी जवान शब्द से संबोधित किया जाता है। देश की सरहदों पर कभी बेहद गर्म तापमान तो कभी कड़कड़ाती ठंड के मौसम में हमारे देश के बहादुर जवान तैनात रहते हैं।हमारे देश के सभी जवान एवं शहीदों को कोटि-कोटि धन्यवाद, क्योंकि इन बहादुरो की वजह से ही हम अपने अपने घरों में सुरक्षित बैठे हैं, सुकून से जिंदगी बसर कर रहे हैं, अपने त्यौहार खुशी से मना रहे हैं। किसी बात की कोई परेशानी नहीं है, कोई तकलीफ नहीं है, किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है।

देश की सेना को तो हम जितना धन्यवाद दें उतना कम है, हमारे तुच्छ धन्यवाद के लिए यह लोग काम नहीं करते हैं, यह काम करते हैं धरती मां की रक्षा के लिए, अपने देश के लिए। बस जवानों को शत शत नमन। वहीं दूसरी ओर बात करें किसान की, तो हमारे देश का किसान तो हमारे लिए अन्नदाता है। अगर किसान ना हो तो हमारे मुंह में खाने का एक निवाला भी ना जा पाए, हमारी थाली इतने व्यंजनों से ना सज पाए, अगर किसान की उपस्थिति ना हो तो अन्न का एक भी दाना पैदा ना हो पाए।

देश का किसान भी निस्वार्थ भाव से देश और देश के तमाम नागरिकों के लिए काम करता है, वह इस बात का ध्यान रखता है कि देश का एक भी नागरिक भूखा ना सोए। किसान के मन में जरा भी मोह, लालच नहीं होता है। वह निष्ठा भाव से देश के लिए, धरती के लिए काम करता है। आज पूरे भारतवर्ष में जहां 1.3 बिलियन लोग हैं, सभी देश के किसान की वजह से ही रोटी खा पाते हैं, अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं। किसान हैं तो हमारे जीवन में पोषण है और पोषण है तो सेहत है, और आप यह भलीभांति तो जानते ही होंगे कि सेहत हजार नेमत, मतलब सेहत हो तो जिंदगी में बहार है, जिंदगी गुलजार है।

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bhuvaneshwari13: mark as brainliest answer
Darklearner7369: par mene speech bola tha apane essay likar bheja
Answered by nilesh102
6

जय जवान जय किसान – यह नारा तो आपने सुना ही होगा, बिल्कुल यह हमारे देश हिंदुस्तान का बेहद लोकप्रिय नारा है, इस नारे के रचयिता थे श्री लाल बहादुर शास्त्री जी।

जय जवान जय किसान निबंध Jai Jawan Jai Kisan Essay in Hindi

शास्त्री जी ने यह नारा सन 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान दिया था जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री थे। इस नारे को देश का राष्ट्रीय नारा भी कहा जाता है । इस नारे के बोल यानी शब्दों पर गौर करें तो आपको मालूम पड़ेगा के नारा किस भाव से दिया गया है। इन चार शब्दों में क्या एहसास है ?!!

दरअसल यह नारा सरहद पर खड़े जवान एवं खेत में काम करते किसान की अटूट मेहनत एवं श्रम को दर्शाता है। यह नारा शास्त्री जी ने एक पब्लिक रैली के दौरान दिया था, जो की रामलीला मैदान में आयोजित थी।उस दौरान भीषण युद्ध एवं भुखमरी चरम पर थी, शास्त्री जी ने देशवासियों में जोश लाने के लिए एवं प्रोत्साहन के लिए यह नारा लगाया था और उनके साथ साथ पूरे देश ने हुंकार भरी थी। इस नारे के बोल यानी शब्दों ने देश भर की जनता में उत्साह एवं आत्मविश्वास भरा था ताकि वह आगे आने वाली परेशानियों का डट कर सामना कर सके; और सही भी तो है, नेता या समाज के मार्गदर्शक हम में जोश नहीं भरेंगे तो और कौन भरेगा !!

बात रही जवान और किसान की तो हम लोग उनके योगदान की गिनती तो कर ही नहीं सकते हैं, चाह कर भी नहीं कर सकते हैं। इन का समाज में योगदान एवं उपलब्धियां अमूल्य है, अतुल्य हैं !!

सीमा पर खड़ा जवान एवं सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर हमारी रक्षा करता है, उस जवान का देश प्रेम निश्छल है, अमर है। उस सैनिक के घर पर भी पत्नी है, बच्चे हैं, मां बाप है, परंतु वह इन सब एहसासों में बंध कर नहीं रहना चाहता है।

वह अपनी धरती मां पर अपनी जान न्योछावर करना चाहता है। देश प्रेम बाकी सभी प्रेम के संबंधों और भावों से सर्वोपरि है, सर्वोच्च है। इस हद तक देश प्रेम की भावना मन में होना के व्यक्ति अपनी जान की ही परवाह ना करें, यह कोई आम बात नहीं है, यह कोई खास इंसान ही कर सकता है, आम व्यक्ति के बस की बात ही नहीं है।सैनिक को अपने अंदर के सभी भाव लोभ, लालच, मोह, माया सभी को छोड़ना होता है, सभी से ऊपर उठना होता है और धरती माता को समर्पित होना पड़ता है, तभी जवान शब्द से संबोधित किया जाता है।

देश की सरहदों पर कभी बेहद गर्म तापमान तो कभी कड़कड़ाती ठंड के मौसम में हमारे देश के बहादुर जवान तैनात रहते हैं।हमारे देश के सभी जवान एवं शहीदों को कोटि-कोटि धन्यवाद, क्योंकि इन बहादुरो की वजह से ही हम अपने अपने घरों में सुरक्षित बैठे हैं, सुकून से जिंदगी बसर कर रहे हैं, अपने त्यौहार खुशी से मना रहे हैं। किसी बात की कोई परेशानी नहीं है, कोई तकलीफ नहीं है, किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है।

देश की सेना को तो हम जितना धन्यवाद दें उतना कम है, हमारे तुच्छ धन्यवाद के लिए यह लोग काम नहीं करते हैं, यह काम करते हैं धरती मां की रक्षा के लिए, अपने देश के लिए। बस जवानों को शत शत नमन।

वहीं दूसरी ओर बात करें किसान की, तो हमारे देश का किसान तो हमारे लिए अन्नदाता है। अगर किसान ना हो तो हमारे मुंह में खाने का एक निवाला भी ना जा पाए, हमारी थाली इतने व्यंजनों से ना सज पाए, अगर किसान की उपस्थिति ना हो तो अन्न का एक भी दाना पैदा ना हो पाए।देश का किसान भी निस्वार्थ भाव से देश और देश के तमाम नागरिकों के लिए काम करता है, वह इस बात का ध्यान रखता है कि देश का एक भी नागरिक भूखा ना सोए। किसान के मन में जरा भी मोह, लालच नहीं होता है। वह निष्ठा भाव से देश के लिए, धरती के लिए काम करता है।

आज पूरे भारतवर्ष में जहां 1.3 बिलियन लोग हैं, सभी देश के किसान की वजह से ही रोटी खा पाते हैं, अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं। किसान हैं तो हमारे जीवन में पोषण है और पोषण है तो सेहत है, और आप यह भलीभांति तो जानते ही होंगे कि सेहत हजार नेमत, मतलब सेहत हो तो जिंदगी में बहार है, जिंदगी गुलजार है।सेहतमंद शरीर हो तो आप जीवन में अपने मन का कुछ भी काम कर सकते हैं, चाहे पढ़ाई हो या नौकरी में काम या आप खिलाड़ी हो या किसी की सेवा करनी हो, जब शरीर में जान होगी तभी यह सब काम संभव हो पाएंगे; और वहीं दूसरी ओर अगर व्यक्ति बीमार है तो वह कुछ भी नहीं कर सकता है।

एक बिमार शरीर किसी काम का नहीं होता है अथवा उल्टा एक बीमार इंसान दूसरों पर बोझ बन कर ही रह जाता है। अर्थात, हमारे भोजन में उपस्थित पोषक तत्व भी उस मेहनती किसान की ही देन है। वही किसान जो ना धूप देखता है ना छाव ना चिलचिलाती गर्मी ना बरसात ना कड़ाके की ठंड, बस दिन रात मेहनत में जुटा रहता है।

अतः जय जवान जय किसान, जितनी सच्चाई इन शब्दों में है, शायद ही पृथ्वी पर किन्ही और लफ्ज़ों में होगी । हिंदुस्तान का जवान अमर रहे एवं किसान जीवंत रहे। जय जवान जय किसान – जय हिंद जय भारत !!

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