History, asked by sukhdevpalsharma4, 11 months ago

2 – नीचे लिखे पद्यखंड को ध्यान से पढ़े -

एक घड़ी की भी परवशता , कोटि नरक के सम है ।
पल भर की भी स्वतंत्रता , सौ स्वर्गों से उत्तम है ।
प जब तक जग में मान तुम्हारा , तब तक जीवन धारो।
जब तक जीवन है शरीर में , तब तक धर्म न हारो ।
जब तक धर्म तभी तक सुख है , सुख के कर्म को न भूलो ।
कर्म भूमि में न्याय- मार्ग पर , छाया बनकर फूलो ।
जहाँ स्वतंत्र विचार न बदलें , मन में आकर मुख में ।
बनें न बाधक शक्तिमान जन , जहाँ निबल के सुख में ।
निज उन्नति का जहाँ सभी जन , को समान अवसर हो ।
शांति दायिनी निशा और आनंद भरा , वासर हो ।
उसी सुखी स्वाधीन देश में , मित्रों ! जीवन धारो ।

ग- कवि ने किस प्रकार के जीवन को नरक के समान माना है और क्यों

घ- कवि कब तक जग में जीवित रहने की संदेश दे रहा है?

Answers

Answered by vinitachauhan282
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Answer:

sorry I am an American I don't know what you wrote

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